
रांची से लेकर दिल्ली तक दौड़-भाग है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दो बार दिल्ली का दौरा कर चुके हैं। रामेश्वर उरावं- धीरज साहू, कांग्रेस और हेमंत सोरेन के बीच बातचीत की महत्वपूर्ण कड़ी बने हुए हैं। लेकिन 12 वें मंत्री का पेंच सुलझने का नाम नहीं ले रहा। एक अनार सौ बीमार वाली कहावत है।
कांग्रेस का दावा
कांग्रेस ने पांचवें मंत्री पद के लिए दावा ठोक दिया है। वे किसी ईसाई को अपने कोटे से मंत्री बनाना चाहते हैं। आखिर ईसाई समुदाय ने हमेशा महागठबंधन की पार्टियों को ही सपोर्ट किया है। सीएम हेमंत के लिए खुलकर “क्रिसमस गिफ्ट” जैसे शब्दों में उद्गार प्रकट हुआ। लेकिन जब मंत्री बनाने की बारी आई तो इस समुदाय की अनदेखी हो गई। लिहाजा सोनिया दरबार तक जबरदस्त लॉबिंग है। किसी आदिवासी ईसाई विधायक को मंत्री तो बनाना ही होगा।
झामुमो के अंदर कलह की आहट
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता खुलकर तो कुछ नहीं कह रहे लेकिन मंत्रीपद पर दावा उनका भी है। बसंत सोरेन, सीता सोरेन जैसे परिवार के दिग्गजों के अलावा झामुमो के कई ऐसे विधायक हैं जो पूर्व में मंत्री रह चुके हैं। उनके पास सरकार चलाने का अनुभव भी है, लेकिन इस सरकार में वे मार्गदर्शक मंडल में हैं।
बोर्ड-निगम को लेकर भी फंसे हैं पेंच
कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी दो दिन पहले ही कह चुके हैं कि बोर्ड-निगम जैसे पदों पर विधायकों को नहीं बल्कि कांग्रेस के पुराने निष्ठावान कार्यकर्ताओं को जगह मिले। इरफान अंसारी ने कहा कि ये कहां का न्याय है कि सभी पदों पर विधायक ही कब्जा जमा लें ? फिर आम कार्यकर्ता कहां जाएंगे ?
राजनीतिक फिजा में तरह-तरह की अफवाहें
लगभग सभी दलों के कार्यकर्ताओं के बीच तरह-तरह की बातें हो रही हैं। कोई बंसत सोरेन को लेकर बातें कर रहा है तो कोई कह रहा है कि पिछले दो साल तो कोरोना में निकल गया , अब और कितने दिनों तक इंतजार करें । शायद इसलिए सीएम ने इशारा कर दिया कि फिलहाल मंत्रीमंडल विस्तार नहीं ही समझिए ।