जिनके बल पर झारखंड बना
वही सम्मान के लिए भटक रहे
रांची। हजारीबाग के छड़वा डैम में झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा का सम्मेलन संपन्न हुआ, जिसमें वक्ताओं ने कहा कि जिनके बल पर झारखंड बना, वही 20 साल से सम्मान के लिए भटक रहे हैं। राज्य में आंदोलनकारियों की सरकार बनने से आशा की किरण जगी है। वक्ताओं ने राज्य सरकार से मांग की कि आंदोलनकारियों आयोग का शीघ्र पुनर्गठन हो और आंदोलनकारियों को सम्मान, पेंशन, पहचान पत्र उपलब्ध करवाया जाए।
सम्मेलन को मुख्य रूप से संयोजक मुमताज खान, प्रवीण प्रभाकर, शफीक आलम, कमल नयन सिंह, उमेश यादव, महावीर विश्वकर्मा, शिवलाल महतो, सुखदेव यादव, शमीम बड़ेहार, कौलेश्वर मांझी, दौलत महतो, अनवर अंसारी, बद्री सिंह आदि नेताओं ने संबोधित किया।
सम्मेलन में झारखंड आंदोलन में शहीद हुए निर्मल महतो, सुनील महतो, सुदर्शन भगत आदि को राजकीय शहीद का दर्जा देने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया। सम्मेलन में झारखंड आंदोलनकारियों को ₹30000 पेंशन और शहीदों व आंदोलनकारियों के आश्रितों को सरकारी नौकरी में आरक्षण की मांग उठाई गई। झारखंड के शहीदों के नाम पर विभिन्न संस्थानों, विश्वविद्यालयों, स्कूलों, कालेजों,मुख्य सड़क, चौक और चौराहों का नामकरण करने के लिए भी प्रस्ताव पारित किया गया।
सम्मेलन में यह भी मांग उठाई गई कि सभी आंदोलनकारियों को एक ही कैटेगरी में रखकर बराबरी का दर्जा दिया जाए, 1932 के खतियान या अंतिम सर्वे के आधार पर स्थानीय नीति बनाई जाए, 20 सूत्री और निगरानी समिति में आंदोलनकारियों को स्थान दिया जाए, पाठ्यक्रम में आंदोलनकारी और शहीदों की संघर्ष गाथा को शामिल किया जाए, सभी वरिष्ठ आंदोलनकारियों को जिले के कार्यक्रम में अतिथि के रुप में आमंत्रित किया जाए और टोल टैक्स पर भी आंदोलनकारियों को छूट मिले।