Friday, March 29, 2024
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सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आदिवासी संगठन सड़क पर उतरे

राजधानी समेत अन्य जिलों में मानव श्रृंखला बनायी गयी

रांची: जनगणना में सरना धर्म कोड की व्यवस्था करने की मांग को लेकर विभिन्न आदिवासी संगठनों द्वारा रविवार को राजधानी रांची समेत राज्य के विभिन्न जिलों में मानव श्रृंखला बनाई गई है। राजधानी रांची में भी बड़ी संख्या में जनजातीय समुदाय के लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर प्रदर्शन किया।


इसके अलावा रांची के ओरमांझी में विभिन्न आदिवासी संगठनों द्वारा एनएच-33 फोरलेन पर सरना धर्मकोड की मांग को लेकर मानव श्रृंखला बनाई गई है। झारखंड समेत देशभर के आदिवासी समाज के लोगों द्वारा अरसे से सरना धर्मकोड लागू करने की मांग की जा रही है। झारखंड में सरना धर्म कोड की मांग तेज हो गई है।


झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र से ठीक पहले आदिवासी संगठनों द्वारा जोर-शोर से आवाज उठाई गयी और लोगों से एकजुट होने की अपील की गयी। शहर के विभिन्न हिस्सों में रविवार को बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोगों ने सड़क पर उतर कर अपनी आवाज बुलंद की।
राजधानी एवं आसपास के प्रमुख चौक-चौराहों पर मानव श्रृंखला बनाई है। रांची के बिरसा चौक से लेकर जगरनाथपुर मंदिर मोड़ तक विभिन्न आदिवासी संगठनों ने सरना धर्मकोड की मांग को लेकर मानव श्रृंखला बनाई है। मानव श्रृंखला में कई सामाजिक संगठन के लोग शामिल हैं। बिरसा चौक नगरा टोली, अलबर्ट एक्का चौक, आदि स्थानों पर 11 बजे के बाद से ही लोग जुटने लगे थे। हजारों महिला-पुरुष इसमें शामिल हुए।ओरमांझी में जुलूस निकालकर सरकार से अलग धर्म कोड देने की मांग की। बच्चे, बूढ़े, नौजवान अपने हाथों में झंडा, पोस्टर-बैनर, तख्ती लेकर विभिन्न मोहल्लों से गुजर रहे हैं। केंद्रीय सरना समिति के सदस्य बिरसा चौक पर सरना धर्म कोड को लागू करने की मांग को लेकर मानव श्रृंखला में शामिल हैं।


लोहरदगा, गुमला, खूंटी और सिमडेगा समेत अन्य जिलों में भी आदिवासी समाज के लोगों ने अपनी चिर परिचित मांग सरना धर्म कॉलम की मांग को लेकर मानव श्रृंखला बनाया। मानव श्रृंखला में लोहरदगा जुरिया गांव के प्रबुद्ध जन के साथ-साथ बच्चे महिलाएं भी शामिल हुई। एक स्वर में कहा हमारी मांगे पूरी करनी होगी।


लोगों ने बताया कि आज तक उन्हें छला जाता रहा है। लोगों ने सरना कोड के नाम पर गंदी राजनीति की लेकिन अब और नहीं। हम सब अपना अधिकार लेके रहेंगे। मानव श्रृंखला में बडी संख्या में आदिवासी समाज के लोग शामिल थे।

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