मंडी खत्म नहीं हो रही
MSP जारी रहेगी
सरकार बिल पर point to point बात-चीत को तैयार
आपत्ति क्या है वो बताएं, सिर्फ तीनों कानून रद्द करो कहने से काम नहीं चलेगा
केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने साफ किया है कि सरकार आंदोलनकारी किसानों से पर्दे के पीछे कोई बातचीत नहीं कर रही । हम जो भी बात करेंग वो खुलकर, सामने से करेंग, हमारे मन में चोर नहीं है, फिर हम लुकछिप कर बातें क्यों करें । कृषि मंत्री मीडिया के एक तबके में आई उस खबर पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि सरकार पर्दे के पीछे बातचीत की कोशिश कर रही है ।
केन्द्र सरकार का स्टैंड बिल्कुल साफ है-तोमर
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आंदोलन के शुरुआती दिनों में किसानों की मुख्य आशंका ये थी कि कहीं मंडी सिस्टम और MSP खत्म न हो जाए । केंद्र सरकार ने उनकी बात मानते हुए साफ कर दिया है कि मंडी सिस्टम पहले की तरह जारी रहेगी, बल्कि उन्हे ई-नाम से जोड़कर और मजबूत किया जा रहा है । अब वहां ऑनलाइन खरीद-बिक्री भी होगी । MSP को लेकर सरकार लिखित आश्वासन देने कोशतैयार है कि MSP खत्म नहीं होगी, बल्कि आजाद भारत के इतिहास में सबसे ज्यादा MSP पर खरीद करने वाली सरकार ही मोदीजी की है । इस साल हमने धान की रिकॉर्ड खरीदारी की है । मोदी सरकार ने MSP का दायरा बढ़ाते हुए दूसरी फसलों को भी इसमे जोड़ा है ।
बिना तर्क के सिर्फ अफवाहों के सहारे खड़ा किया गया आंदोलन
कृषि मंत्री ने कहा कि सिर्फ भीड़ जुटाकर, बिना तर्क के और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम कर अगर कोई यह सोचता है कि मोदी सरकार को झुका सकता है तो ये उनकी गलतफहमी है । उनकी डिमांड है कि हम तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर दें । अरे भई! क्यों रद्द कर दें, इसके पीछे तर्क तो बताओ । क्या किसानों को अपनी ऊपज कहीं भी बेचने की इजाजत नहीं होनी चाहिए? हमारे देश के किसान ऑनलाइन, अपनी मर्जी से अपने फसल का मोल-भाव क्यों नहीं कर सकते । आखिर क्यों उन्हें पंजाब और हरियाणा की मंडियों में बैठे दलालों की कृपा पर निर्भर रहना पड़े?
कोई पूंजीपति किसानों को नहीं लूट सकता
कृषि मंत्री ने कहा कि पहली बात तो ये कि नये कानून के तहत किसान अपनी ऊपज का सौदा करता है, अपनी जमीन का नहीं । दूसरी बात, कंपनी और किसान के बीच सिर्फ इस बात का सौदा होगा कि किसान अपनी फसल फलाने कंपनी को बेचेगा, इसके लिए किसानों को एडवांस पैसे मिल जाएंगे। तीसरी बात,, ये किसान की मर्जी के ऊपर है कि वो सरकारी मंडी में जाकर बेचे, कंपनी को बेचे या लोकल अढाती को । हम सिर्फ किसान को विकल्प दे रहे हैं । अगर फिर भी विपक्ष को लगता है कि इसमें कुछ गलत हो सकता है तो कई राज्यों में उनकी सरकार है, वे अपने यहां लागू न करें । महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और दक्षिण भारत के राज्यों में सालों से ये चल रहा है ।