अयोध्या में विराजनेवाले भगवान राम निर्बलों के बल ही नहीं, आराध्य और आदर्श भी हैं. श्रीराम का चरित्र त्रेतायुग से लेकर आज के मानवों के लिए समान रूप से प्रेरणाप्रद है. इसीलिए तो राम भारत की आत्मा हैं, प्राण हैं तथा उपास्य हैं. पढ़ें चार विशेष आलेख.
सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए साल 2024 का जनवरी माह ऐतिहासिक होने वाला है, क्योंकि इस माह में अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होने वाली है. 22 जनवरी को मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम के बाल स्वरूप की मूर्ति प्रतिष्ठित की जायेगी. इसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. इसे लेकर देश-दुनिया में भक्तों का उत्साह चरम पर है. अयोध्या में विराजनेवाले भगवान राम निर्बलों के बल ही नहीं, आराध्य और आदर्श भी हैं. श्रीराम का चरित्र त्रेतायुग से लेकर आज के मानवों के लिए समान रूप से प्रेरणाप्रद है. इसीलिए तो राम भारत की आत्मा हैं, प्राण हैं तथा उपास्य हैं. त्रेतायुग के रामचरितमानस एवं श्रीमद्भगवतगीता सहित सभी धर्म-ग्रंथों में भगवान के अवतार का उल्लेख मिलता है कि जब-जब धर्म की हानि होती है, पृथ्वी पर अनाचार बढ़ता है, तब-तब कोई दिव्यशक्ति प्रकट होती है और धर्मानुसार विधिक जीवन जीने के लिए उद्यम करती है. धर्मग्रंथों की इस उद्घोषणा को समाज की सबसे छोटी इकाई के रूप में हर मनुष्य अपने ही जीवन-काल को सत्ययुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग के दायरे में लेकर उस पर गहरी नजर डालें, तो सभी युगों में अधर्मपूर्ण जीवन के दृष्टांत तथा अवतार की अवधारणा बहुत कुछ स्पष्ट हो जायेगी.