सरकार के निर्देश को ताख में रखकर कर रहे हैं पोशाक व स्टेशनरी किट का सप्लाई
जिला से लेकर प्रबन्धन समिति तक को बंधी बंधाई रकम मिलती है इसलिये नही होती है जांच – आरोप
नितेश जायसवाल/ उज्ज्वल दुनिया /लातेहार । जिले के कई प्रखण्डों में शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के मिली भगत से स्कूली बच्चों के पोशाक व स्टेशनरी किट सप्लाई में हो रही है पैसों की बंदरबांट।बताते चलें कि इन दिनों करोना के मद्देनजर सभी विद्यालय मार्च माह से ही बंद है।फिर भी इन छुट्टियों के दिनो में भी लातेहार जिले के हेरहंज प्रखण्ड में बी आर पी निरंजन सिंह व प्रबन्धन समिति के मिलीभगत से ड्रेस व स्टेशनरी किट का सप्लाई विद्यालय में जोरों शोरों से किया जा रहा है।इसमे विद्यालय प्रबंधन समिति, प्रधानाध्यापक व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को बंधी बंधाई कमीशन की रकम मिलती है। सरकार के निर्देश के अनुसार कक्षा 1 से लेकर पांच तक के लिये प्रति बच्चा 600 रुपये व कक्षा 6 से लेकर 8 तक के लिए 760 रुपये की राशि निर्धारित की गई है।इस लेटर में स्पष्ट रूप से यह लिखा गया है कि जिन बच्चों का खाता बैंक में खोलवाया गया है उनका किट का पैसा उनके खाते में डालनी है और जिन बच्चों का खाता बैंक में नही है उनका पैसा विद्यालय प्रबंधन समिति के खाते में डालना है जिससे समिति के लोग उस पैसों को निकालकर अच्छी किस्म का ड्रेस स्वेटर व एक जोड़ा जुता मौजा खरीदकर बच्चों को दें।साथ ही जो स्टेशनरी किट देना है वो भी प्रबन्धन समिति खाते से पैसे निकालकर अपने प्रखण्ड के अच्छे दुकान से बढ़िया किस्म की कॉपी,कलम व स्टॉमन इत्यादि वस्तुयें खरीदकर बच्चों के बीच वितरण करें। लेकिन बिचौलिये और पदाधिकारीयों के मिलीभगत से सभी स्कूली बच्चों के पैसों को प्रबन्धन समिति के खाते में डलवाया जा रहा है और उसके बाद घटिया सामग्री का सप्लाई खुद बी आर पी निरंजन सिंह के द्वारा विद्यालयों में किया जा रहा है।।इस बात की जानकारी उच्च पदाधिकारियों को भी है लेकिन अब तक इनलोगों के विरुद्ध कोई ठोस कदम नही उठाना इस बात का संकेत देती है कि इसका सेटलमेंट उच्च अधिकारियों तक भी है।
गौरतलब है कि सरकार के द्वारा सभी विद्यालयों के प्राचार्य को सख्त निर्देश जारी किया गया था कि सभी बच्चों का खाता बैंक में खोलवाया जाय।जिससे उनको मिलने वाला लाभ उसके खाते में जा सके।लेकिन खाता खुलवाने के बाद भी पैसा खाता में न डालकर प्रबन्धन समिति के खाते में डाला जाता है।जिसे सभी के मिलीभगत से सामान खरीदने के नाम पर लूटा जाता है।
क्या कहते हैं बीडीओ ?
बी डी ओ प्रदीप कुमार दास ने बताया कि मुझे मामले की जानकारी कुछ दिन पूर्व अखबार के माध्यम से हुई।मैने सरकार के द्वारा प्राप्त लेटर को लेकर बी ई ओ से मांग की है।अगर सरकार के निर्देश को ताख में रखकर कोई भी व्यक्ति सप्लाई का काम कर रहें हैं तो मैं इसपर जिला को पत्र लिखूंगा।साथ ही मैं चाहूंगा कि मामले की जाँच हो और दोषियों पर उचित करवाई हो।
मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं- बीईओ
बी ई ओ एच प्रमाणिक से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि इसके बारे में मेरे पास कोई जानकारी नही है।साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मेरे पास कंटीजेंसी नही है जो कि मैं विद्यालय के द्वारा भेजे गए रिपोर्ट को रख सकूँ।मेरे पास जो भी रिपोर्ट विद्यालय के द्वारा आता है उसे जिले भेज देता हूँ।आप जाकर खुद जिला से या विद्यालय के प्राचार्य से रिपोर्ट माँग लें।
इन तीनों पैराग्राफ़ को अलग-अलग बॉक्स में लिखें
कांग्रेस अध्यक्ष लाडले खान ने कहा कि मैंने इस मामले में बी आर पी निरंजन कुमार सिंह से बात की थी।उन्होंने बात को टालते हुए कहा कि मैं अभी व्यस्त हूँ।आपसे बाद में बात करूँगा।मुझे यह समझ मे नही आया कि सरकार कोई भी अधिकारी को विभाग के काम करने के लिये नियुक्त करती है या ठीकेदारी करने के लिये।सरकार के नियम को ताख में रखकर निरंजन सिंह खुद पोशाक का सप्लाई कर रहे हैं।मैं इस विषय मे माननिय मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से इस सम्बंध में बात करूंगा।
पूर्व बीस सुत्री अध्यक्ष विजय गुप्ता ने कहा कि ये जो मामला लगातार मीडिया के माध्यम से प्रकाश में आ रहा है यह निन्दनीय है।सरकारी कर्मचारी अपना काम छोड़ कर ठीकेदारी करने लगे तो यह सोचनीय है।ये जो बिचौलियों के मिलीभगत से पोशाक का पैसा बच्चों के खाते में न डालकर प्रबंधन समिति में डलवा रहे हैं और घटिया सप्लाई करके पैसों का बंदरबांट कर रहे हैं।मैं उपायुक्त महोदय से आग्रह करूँगा की मामले की जांच बारीकी से करने के लिये एस आई टी का टीम गठित की जाय और मामले की जांच करते हुए दोषियों पर कठोर करवाई की जाय।
पूर्व सांसद प्रतिनिधि रंजीत जायसवाल ने कहा कि अगर ऐसी बात है निरंजन कुमार विभाग के काम न करके प्रखण्ड में पोशाक सप्लाई का काम कर रहे हैं तो यह गलत है।सरकार के नियम के विरुद्ध काम करने वाले लोगों पर जांच कर करवाई होनी चाहिए।इसके लिये मैं माननीय सांसद सुनील कुमार सिंह को पत्र लिखूंगा।