उज्ज्वल दुनिया \रांची । राज्य के सभी विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों की संख्या और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्धारित मानकों के आलोक में शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के समुचित पदों के सृजन प्रस्ताव को तैयार करने के मकसद से उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में एक स्क्रीनिंग समिति का गठन किया जाएगा । सीएम हेमन्त सोरेन ने स्क्रीनिंग समिति के गठन से संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है।
स्क्रीनिंग समिति में ये रहेंगे शामिल
उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में गठित होनेवाली स्क्रीनिंग समिति में निदेशक, उच्च शिक्षा सदस्य सचिव होंगे. इसके अलावा राज्य के विश्वविद्यालय के दो पूर्व कुलपति, संबंधित विश्वविद्यालय के कुलसचिव, कार्मिक, प्रशासनिक एवं राजभाषा विभाग के उप सचिव पद से उच्चतर पदाधिकारी, संबंधित विश्वविद्यालयों के उप निदेशक, उच्च शिक्षा निदेशालय के अवर सचिव (बजट), उच्च शिक्षा निदेशालय के अवर सचिव (विधि), उच्च शिक्षा निदेशालय के अवर सचिव (स्थापना) और रूसा के नोडल पदाधिकारी सदस्य् होंगे.
सात सालों में दोगुना बढ़ी है विद्यार्थियों की संख्या
राज्य के विश्वविद्यालयों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में पिछले सात सालों के दौरान विद्यार्थियों की संख्या लगभग दोगुना बढ़ी है. लेकिन, कतिपय कारणों से शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के पदों का सृजन विद्यार्थियों की संख्या के मानक अनुपात के अनुसार नहीं हो पाया है. इन कमियों को दूर करने एवं गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के प्रसार को सुनिश्चित करने के मकसद से पदों के सृजन प्रस्ताव को लेकर स्क्रीनिंग समिति का गठन किया गया है.
उच्च शिक्षा की बेहतरी के लिए उठाए जा रहे ये कदम
उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के द्वारा उच्च शिक्षा की बेहतरी के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसके तहत प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में डिग्री महाविद्यालय की स्थापना, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के अंतर्गत विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों की आधारभूत संरचना मजबूत करना, झारखंड खुला विश्वविद्यालय एवं जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना, डिजिटल माध्यम से अध्ययन-अध्यापन कार्य हेतु झारखंड सेंटर फॉर डिजिटल लर्निंग की स्थापना की जा रही है. ऐसे में विभाग द्वारा किए जा रहे इन प्रयासों को मूर्त रुप प्रदान करने की दिशा में यह जरूरी है कि विश्वविद्यालयों एवं इनके अधीनस्थ महाविद्यालयों में शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के समुचित पदों का सृजन किया जाए ।