उज्ज्वल दुनिया /रांची । बीते 7 मार्च को झारखंड के बोकारो जिले में भूखल घासी (42 वर्ष) की मौत भूख से हो गयी थी। बताया गया कि भूखल घासी के घर में चार दिनों से चूल्हा नहीं जला था। जिसके बाद इस मामले को मेरे द्वारा नई सरकार के पहले विधान सभा सत्र मे प्रमुखता से उठाया गया। इस दौरान मौन प्रदर्शन, प्रदर्शन, विधान सभा का बहिष्कार तक किया गया। लेकिन राज्य सरकार के कानों पर जूं तक नही रेंगी। मैंने विधान सभा मे इस मामले में गंभीरता से उठाते हुए उच्च स्तरीय जांच और भुलहल घासी के परिजनों को राहत राशि देने की मांग की थी। लेकिन यह सरकार सिर्फ जुमलों पर चलने वाली सरकार है। आज तक किसी भी मांग को गंभीरता के साथ पूरा नही किया गया। जिसका नतीजा यह हुआ कि पिछले छः महीने में भूखल घासी के तीन परिजन की मौत हो गयी और आज उसके बेटी की भी मौत हो गयी। उक्त बातें चंदनकियारी विधायक सह पूर्व मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अमर कुमार बाउरी ने कही।
नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दें सीएम- बाउरी
भूखल घासी के बेटी की मौत के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अमर कुमार बाउरी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि राज्य के सबसे बड़े लोकतांत्रिक मंदिर में भी भूखल घासी की मौत का मामला आने के बाद भी सरकार के तर्फवसे कोई गंभीरता नही दिखाई गई। यह राज्य के लिए शर्म की बात है। उन्होंने सरकार के मुख्यमंत्री, मंत्री एवं अधिकारियों से पूछा कि क्या यह सरकार राज्य में दलित, आदिवासियों को जीने का हक और अधिकार छीनना चाहती है।
दबंगो ने जला दिया था भूखल का शव
बता दें कि भूखल घासी की मौत की खबर 6 मार्च 2020 की शाम को ही कसमार प्रखंड के बीडीओ राजेश कुमार सिन्हा को दी गई थी, लेकिन तीन चार घंटा बीत जाने के बाद भी कोई भी अधिकारी या कर्मी घटनास्थल पर नहीं पहुंचा था। दूसरी तरफ क्षेत्र के ही कुछ दबंग लोगों के दबाव में भूखल घासी के शव को जला दिया गया। बहाना यह बनाया गया कि स्थानीय श्मशान घाट नदी और जंगल किनारे है, इसलिए जंगली जानवरों के भय से शव को जलाना पड़ा। ऐसी हरकत से शव का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया।