अमेरिका के Massachusetts स्थित आर्सेनल कंसल्टिंग (Arsenal Consulting) नाम के डिजिटल फॉरेंसिक फर्म की एक रिपोर्ट मीडिया में लीक हुई है । उस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भीमा कोरेगांव हिंसा को लेकर सबूतों से छेड़छाड़ की गई है । Arsenal Consulting के डिजिटल फॉरेंसिक टीम का दावा है कि रोना विल्सन के लैपटॉप को हैक कर उसमें हिंसा से जुड़े ऐसे सबूत प्लांट किए गए, जिससे रोना विल्सन का कोई लेना-देना नहीं था। “द वाशिंग्टन पोस्ट” की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रात में रोना विल्सन का लैपटॉप हैक हुआ, उसमें आधी रात को सबूत प्लांट किए गए और सुबह पुलिस ने उन्हीं सबूतों को आधार बनाकर रोना विल्सन को गिरफ्तार कर लिया ।
द वाशिंग्टन पोस्ट (The Washington Post) के दावों में कई पेंच
अमेरिकी अखबार “द वाशिंग्टन पोस्ट” (The Washington Post) ने सबसे पहले आर्सेनल कंसल्टेंट की रिपोर्ट के हवाले से आर्टिकल छापा । हालांकि उसी लेख में ये साफ- साफ लिखा है कि कंपनी ने रोना विल्सन के वकील सुदीप पसबोला (Sudeep Pasbola) के कहने पर रिपोर्ट तैयार की है । मैसाचुसेट्स स्थित डिजिटल फॉरेंसिक फर्म की आर्सेनल कंसल्टिंग की रिपोर्ट के अनुसार, हमलावर ने अपनी गिरफ्तारी से पहले, रोना विल्सन के एक लैपटॉप से घुसपैठ करने के लिए मैलवेयर का इस्तेमाल किया। विल्सन के वकीलों ने अनुरोध कर सरकार से लैपटॉप की इलेक्ट्रॉनिक कॉपी मांगी । फिर उसी इलेक्ट्रॉनिक कॉपी के आधार पर आर्सेनल कंसल्टिंग ने रिपोर्ट तैयार कर रोना विल्सन के लैपटॉप हैक होने की बात कही ।
कहीं मोदी विरोधी घोर वामपंथी लॉबी ने रिपोर्ट तो नहीं बनवाई?
बड़ा सवाल ये है कि आर्सेनल कंसल्टिंग की फॉरेंसिक रिपोर्ट अदालत में पेश होने से पहले मीडिया में कैसे लीक हो गई । द वाशिंग्टन पोस्ट में लेख की सह लेखिका दिल्ली में रहने वाली Niha Masih खुद ईसाई है और लंम्बे अर्से से रोना विल्सन की रिहाई के कैंपेन में शामिल रही हैं । Niha Masih के ट्विटर अकाउंट (@NihaMasih) पर जाने के बाद पता चलता है कि वो लगातार मोदी सरकार के फैसलों के खिलाफ लिखती रही हैं । उन्होने तो यहां तक लिखा की डाढी बढ़ाए हुए नरेंद्र मोदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इमेज प्रॉब्लम का शिकार होना पड़ रहा है । जिस तरह बरखा दत्त वाल स्ट्रीट जनरल में लगातार मोदी सरकार के खिलाफ लिख रही हैं, जिस तरह वीर सांघवी लगातार सीएनएन में मोदी सरकार के खिलाफ आर्टिकल लिख रहे हैं, जिस तरह सुहासिनी हैदर अमेरिका की अलग- अलग पत्र पत्रिकाओं में “भारत के अंदर ऊपजे असंतोष और भेदभाव” पर लेख लिख रही हैं उसी तरह निहा मसीह भी वाशिंग्टन पोस्ट में लगातार लेख लिखती रही हैं ।