गोड्डा । पोड़ैयाहाट प्रखंड से वर्ष 2009 में भाजपा के प्रखंड अध्यक्ष रहे अरुण साह की वर्तमान में माली स्थिति अच्छी नहीं है। वह अपना जीविकोपार्जन के लिए हाट बाजार में भूना हुआ मांस और अंडा बेच कर किसी तरह परिवार का पालन कर रहे हैं।
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ने फेसबुक पर लगाई तस्वीर
पूर्व में भाजपा के जिला अध्यक्ष रहे दिलीप सिंह ने अरुण साह की तस्वीर फेसबुक पर शेयर करते हुए भाजपा कार्यकर्ता की ऐसी दुर्गति पर अपना रोष प्रकट किया।
लोगों ने भाजपा पर अपने कार्यकर्ता की अनदेखी का लगाया आरोप
फेसबुक पर तस्वीर घायल होने के बाद लोगों की जमकर प्रतिक्रिया होने लगी। भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपने नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए अपनी भड़ास निकाली। किसी ने कहा कि सरजमी पर काम करने वाले कार्यकर्ता को किस प्रकार उपेक्षा की जाती है यह इसका स्पष्ट उदहारण है। जिस प्रकार हमारे यहां कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जाती है वैसा शायद किस दल में होता होगा। काम निकल जाने के बाद पहचानने से भी इंकार कर देते हैं। कार्यकर्ता के बदौलत ही नेता बनते हैं एमपी एमएलए बनते हैं और फिर कुर्सी मिलते ही सब कुछ भूल जाते है।
नेताओं के लिए लाठी खाने वाले कार्यकर्ता की दुर्दशा
वर्ष 2009 में जब पहली बार गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए निशिकांत दुबे गोड्डा आए थे तो उनके साथ कार्यकर्ताओं ने पुरजोर मेहनत कर उनको सांसद की कुर्सी तक पहुंचाया। पोड़ैयाहाट क्षेत्र में प्रचार के दौरान उनके साथ हुए मारपीट की घटना में भी इस कार्यकर्ता अरुण शाह ने पूरा सहयोग देकर भीड़ से बचकर साथ लेकर आए थे। ऐसे कार्यकर्ताओं को भूला देना पार्टी हित में नहीं है।
अडाणी के नाम पर लाभ लेने वाले नेता को ध्यान रखना चाहिए था – निशिकांत
सांसद निशिकांत दुबे ने अपने फेसबुक के माध्यम से कार्यकर्ता की दुर्दशा पर कहा कि अडानी कंपनी से जो स्थानीय नेता लाभ लेते हैं उन्हें चाहिए कि वो अपने कार्यकर्ताओं को भी तवज्जो दें और उनके हित का ख्याल रखें। मैं भी इस संबंध में प्रयास करूंगा ताकि किसी कार्यकर्ता को कोई तकलीफ ना हो
बड़े नेता के द्वारा उपेक्षा करने से ऐसी स्थिति होती है – प्रशांत मंडल
पोड़ैयाहाट के पूर्व विधायक प्रसाद मंडल ने इस मुद्दे पर कहा कि बड़े नेता ऊपर जाकर भूल जाते हैं उन्हें यह चाहिए कि कार्यकर्ताओं के साथ मिलजुल कर उनके समस्याओं का निदान करें। कार्यकर्ता ही पार्टी की रीढ़ है और हमारे लिए कार्यकर्ता के बिना कुछ भी कर पाना संभव नहीं है। फिलहाल अरुण साह के ही बहाने नेताओं के बीच जुबानी जंग जारी है।