
6 महीने में RBI नियम बनाकर कोर्ट को सौंपे
देश की सर्वोच्च अदालत ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक को 6 महीने के अंदर बैंक लॉकर्स से संबंधित नियम बनाने का आदेश दिया है।
आभूषण को पहुंचे नुकसान से पल्ला नहीं झाड़ सकता बैंक
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कोलकाता के अमिताभ दासगुप्ता की अपील पर आया है। दासगुप्ता ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान अयोग के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी । उन्होंने जिला कंज्यूमर फोरम के समक्ष आवेदन देकर यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को लॉकर में रखे 7 आभूषणों को लौटाने या फिर उसकी लागत और नुकसान के एवज में क्षतिपूर्ति के रूप में 3 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश देने का आग्रह किया था।
बैंकों का रवैया उपभोक्ता के अधिकार का हनन है
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग ने राज्य आयोग के इस आदेश को स्वीकार किया कि लॉकर में रखे सामान की वसूली के संदर्भ में उपभोक्ता मंच का अधिकार क्षेत्र लिमिटेड है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मामले की सुनवाई के बाद कहा, बैंकों का इस प्रकार का कदम न केवल उपभोक्ता संरक्षण कानून के संबंधित प्रावधानों का उल्लंघन है, बल्कि निवेशकों के भरोसे और एक उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में हमारी साख को नुकसान पहुंचाता है। कोर्ट ने कहा, इसीलिए यह जरूरी है कि आरबीआई एक व्यापक दिशानिर्देश लाये, जिसमें यह अनिवार्य हो कि लॉकर के संदर्भ में बैंकों को क्या कदम उठाने हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंकों को यह आजादी नहीं होनी चाहिए कि वे ग्राहकों पर एकतरफा और अनुचित शर्तें थोपें।
SC की बेंच ने कहा कि ग्राहक पूरी तरह से बैंक पर निर्भर हैं, जो उनकी संपत्ति के संरक्षण के लिए काफी सक्षम पार्टी है। ऐसी स्थिति में, बैंक इस मामले में मुंह नहीं मोड़ सकते और यह दावा नहीं कर सकते कि लॉकर के संचालन के लिए वे अपने ग्राहकों के प्रति कोई दायित्व नहीं रखते हैं।