उज्ज्वल दुनिया/रांची । पूर्व की बीजेपी सरकार और विवादों का गहरा रिश्ता रहा है. रघुवर सरकार के दौरान हुई नियुक्तियों से लेकर नियोजन नीति तक हर मामले में पूर्व की बीजेपी सरकार विवादों के घेरे में रही. इन्ही में से एक विवादित मामला राजेन्द्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में नर्स नियुक्ति का भी रहा. रघुवर सरकार के दौरान रिम्स में हुई नर्स नियुक्ति में आदिवासियों को मिलने वाले आरक्षण कोटे को ही समाप्त कर दिया गया. आदिवासी संगठन लगातार ये कहते रहे कि आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं हो रहा है, ऊपर से एसटी के पदों को गैर एसटी को आवंटित किया जा रहा है. झारखंड में आदिवासियों को 26 प्रतिशत आरक्षण है. मगर नियुक्ति में इसका पालन नहीं किया गया. इतना ही नही नर्सो की बहाली के लिए जो अहर्ता मांगे गए थे, उनमें भी भारी गड़बड़ी थी. नर्सो को बिना विज्ञापन और बिना साक्षात्कार के ही पदस्थापित किये जाने के आरोप भी लगे.
रघुवर सरकार के दौरान हुई नर्स नियुक्ति घोटाले पर हेमंत सरकार शुरू ही एक्शन के मूड में थी. आदिवासी आरक्षण के साथ हुए गड़बड़झाले पर हेमंत सरकार बनने के पहले ही वर्ष हुए रिम्स शासी परिषद की 49वी बैठक में रोक लगा दी गयी. नर्स नियुक्ति के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े को समाप्त कर नए सिरे से योग्य उमीदवारों के लिए रिम्स में नर्स के पद का सृजन करने की सहमति दे दी गयी। निर्देश दिया गया कि पूर्व की सरकार में हुई गड़बड़ियों की जांच के साथ साथ आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए राज्य के योग्य उम्मीदवारों को मौका मिले. जाहिर है पूर्व की बीजेपी सरकार के दौरान हुए इन गड़बड़ियों ने ना केवल राज्य की छवि को धूमिल किया बल्कि योग्य नौजवानो से उनका अधिकार भी छीन लिया। आदिवासियों के अधिकारों पर पूर्व की भाजपा सरकार की उदासी और गैरजिम्मेदाराना रवैयों ने आदिवासियों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया था. अब देखना है कि नर्स नियुक्ति के नाम पर गड़बड़ी करने वालो पर कबतक जांच पूरी होती है.