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बड़कागांव के इतीज में पाषाण काल के मिले गुफा

बड़कागांव के चिरुडीह बरवाडी एवं केरेडारी के इतीज के बॉर्डर पर हैं यह गुफा

बड़कागांव प्रखंड में है दर्जनों गुफाएं

(संजय सागर)

झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड से 15 किलोमीटर दूर स्थित पुरापाषाण काल का इतिज गुफा है . यह गुफा बड़कागांव प्रखंड के ग्राम चिरुडीहबरवाडी एवं के केरेडारी प्रखंड के ग्राम इतीज के बॉर्डर पर स्थित बाघ लतवा पहाड़ में है.अब तक यह गुफा गुमनाम ही था .इसे आज तक किसी भी रूप प्रकाशित नही किया गया था . इस गुफा  की खोज का श्रेय कर्णपुरा  के इतिहास पर अध्ययन कर रहे हैं युवा पत्रकार संजय सागर को जाता है .पुरातात्विक विज्ञान के अनुसार यह गुफा पुरापाषाण काल एवं मध्य पाषाण काल का लगता है. श्री सागर का कहना है कि विश्व के प्रसिद्ध बड़कागांव का इसको गुफा एवं मध्य प्रदेश के भीमबेटका गुफा की तरह या गुफा लगता है. पुरापाषाण काल 2500000 से 10,000 ईसा पूर्व एवं मध्य पाषाण काल 10 से 5000 वर्ष ईसा पूर्व एवं नवपाषाण काल 7000 से 1000 वर्ष ईसा पूर्व माना जाता है. इतीज गुफा में पत्थरों के औजार एवं शैल चित्र भी मिले हैं .पुरातात्विक विज्ञान के अनुसार प्राचीन मानव पत्थर के औजारों से शिकार करते थे. पाषाण काल में जावा मानव ,सीनाथ्रोपस मानव व नियंडरथल मानव  गुफाओं में निवास करते थे .इस गुफा को देखने से ऐसा लगता है कि यह गुफा भी इसी तरह के मानव का निवास रहा होगा. ज्ञात हो कि बड़कागॉव प्रखंड के इसको का पाषाण काल का गुफा एवं महोदी पहाड़ में डूमारो गुफा ,द्वारपाल गुफा ,छगरी -गोदारी गुफा, केरेडारी प्रखंड के नवटंगवा गुफा मिलने से ऐसा लगता है कि बड़कागांव प्राचीन मानव की सभ्यता केंद्र रही है. अगर यहां के पत्थरों को कार्बन डेटिंग के आधार पर जांच किया जाएगा तो यहां के गुफाएं काफी पुरानी सभ्यता के रूप में साबित होगी.

कैसे पता चला यह गुफा

 मैं  संजय सागर जब इतीज गांव पहुंचा तो 3 किलोमीटर दूर से एक पहाड़ी नजर आया, जो गुफा की तरह दिखाई दे रहा था. स्थानीय निवासी किरणधर गंझू ,सुनील गंझू अन्य ग्रामीणों ने बताया कि उस पहाड़ में बाघ की मांद है.वहां डर से कोई नहीं जाता है. मुझे  वह मांद गुफा के रूप में प्रतीत हुआ .मैं आर्यकर्ण निधि लिमिटेड के निर्देशक रंजीत कुमार मेहता व कुछ ग्रामीणों को लेकर उस बाघ लतवा पहाड़ उबड़- खाबड़ एवं झाड़ियों से भरे कठिन रास्तों होते हुए पहुंचा. यह गुफा 15 फीट ऊंची पहाड़ पर स्थित है. गुफा तक जाने के लिए खतरनाक व संकीर्ण रास्ता है.गुफा देखकर हैरान सा लगा. यहां तीन गुफा है. गुफा के दोनों किनारे में छोटा-छोटा  द्वारा वाले दो गुफाएं हैं. जबकि बीच में एक बड़ा सा गुफा है .इस गुफा के द्वार की ऊंचाई लगभग 4:30 फिट है .गुफा के अंदर लंबी सुरंग है .जिसकी लंबाई नहीं नापी नही जा सकती है. आवाज लगाने पर आवाज लौटकर नहीं सुनाई देती है. गुफा के अंदर अंधेरा ही अंधेरा नजर आता है टॉर्च जलाकर कुछ ही दूर तक दिखाई देती है. गुफा के इर्द-गिर्द में एवं गुफा के अंदर कई पत्थर के औजार बिखरे पड़े हुए हैं मैंने कुछ पत्थर के औजार को संग्रह करके एक स्थान में रख दिया.

गुफा की खासियत

इतीज गुफा  विश्व प्रसिद्ध बड़कागांव का इसको गुफा एवं मध्य प्रदेश के भीमबेटका गुफा की तरह लगता है.  गुफा एवं पत्थर के औजार को देखने से ऐसा लगता है जैसे यहां  प्राचीन मानव की सभ्यता  रही है . गुफा के अगल-बगल में गुफा को ढकने के लिए चट्टान का दरवाजा भी  है जो गुफा के नीचे गिरा पड़ा है गुफा में सफेद व लाल रंग के कई तरह के चित्र भी अंकित है.

पत्थरों के औजार मिले

]इस गुफा में प्राचीन मानव द्वारा बनाएगी पत्रों का औजार भी मिले हैं इनमें से हैमर (फेंक कर चोट पहुंचाने वाली आजार ) हैंड एक्स (काटने व कूटने के लिए),भाले की नोक( चमड़ा सिलने और छेद बनाने के उपकरण) डेढ़ इंच के आकार का माइक्रोलिथ (छोटे और धारदार चाकू) प्रारंभिक बेडौल मुट्ठीछुरा( हाथ की कुल्हाड़ी) खिरिया ढेकली हावड़ा चीनी आदि पत्थर के औजार मिले हैं .जो पुरापाषाण  युगीन लगता है.

क्या कहना है पुरातत्व विभाग का

पुरातत्व विभाग के राजेंद्र देहरी का कहना है कि हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड में कई पाषाण काल के गुफाए है. उन गुफाओं की तरह ईतीज गुफा भी होगा .वहां पर जाने एवं देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. अखबारों में इसे प्रकाशित किया जाए ,ताकि विभाग व सरकार का ध्यान वहां पहुंचे और उस पर काम हो सके.

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