Saturday 21st of December 2024 12:02:18 PM
HomeBreaking Newsफिर भारत के कब्जे में आई फिंगर

फिर भारत के कब्जे में आई फिंगर

सामरिक स्थिति मजबूत करके चीन को सेना ने दी एक और मात
 एलएसी पर भारत-चीन में तनाव बढ़ने की यहीं से हुई थी शुरुआत सुनीत निगम

नई दिल्ली, (हि.स.)। आखिरकार भारत ने लद्दाख में पैंगोंग के उत्तरी किनारे की फिंगर 4 को फिर अपने कब्जे में ले लिया है। इस तरह 4 महीने बाद यह इलाका भारतीय सेना के कब्जे में पूरी तरह से आ गया है। अब यहां से सबसे निकट चीन की पोस्ट फिंगर 4 के पूर्वी हिस्से में हैं, जो भारतीय सेना की चौकी से कुछ मीटर की दूरी पर है। पैन्गोंग झील के उत्तरी किनारे पर विवाद की मुख्य जड़ फिंगर-4 की रिजलाइन पर भी भारतीय सेना ने चीनी प्रयासों को विफल करते हुए बेहतर सामरिक स्थिति बना ली है।  

पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर चीनी सैनिकों ने मई के शुरुआती दिनों में भारतीय क्षेत्र में आने वाली फिंगर-4 से 8 तक पूरे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। मौजूदा तनाव से पहले चीन का फिंगर-8 में एक स्थायी कैम्प था और भारत मई से पहले फिंगर-8 तक पेट्रोलिंग करता था। इसे ऐसे समझना आसान होगा कि फिंगर-4 और फिंगर-8 के बीच आठ किमी. की दूरी है। इस तरह देखा जाए तो चीन ने आठ किलोमीटर आगे बढ़कर फिंगर-4 पर कब्जा करके पैंगोंग झील के किनारे आधार शिविर, पिलबॉक्स, बंकर और अन्य बुनियादी ढांंचों का निर्माण कर लिया। इतना ही नहीं यहां पर चीन ने आर्टिलरी और टैंक रेजिमेंट्स को तैनात कर दिया। इसके बाद चीन के सैनिक भारतीय गश्ती दल को फिंगर-4 से आगे नहीं जाने देते थे। पूर्वी लद्दाख में पैगोंग झील इलाके में एलएसी पर दोनों पक्षों में तनाव बढ़ने की शुरुआत यहीं से हुई थी।  

इस बीच भारत और चीन के सैन्य कमांडर स्तर की हुई वार्ताओं में चीन से वापस फिंगर-8 पर जाकर अप्रैल, 2020 से पहले की स्थिति बहाल करने के लिये सख्ती के साथ कहा गया। इन्हीं वार्ताओं में फिंगर एरिया में 4 किमी. का बफर जोन बनाने की बात तय हुई। लगातार सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं में दबाव बनाने का नतीजा यह रहा कि चीनी सैनिक अचानक 9 जुलाई को फिंगर-4 पर कब्जा जमाए बैठे चीनी सैनिक 2 किमी. पीछे खिसककर फिंगर-5 पर चले गए। पीएलए ने फिंगर 5 के पास पहले से ही 6 बंकरों का निर्माण कर रखा है। दोनों सेनाओं के बीच 4 किमी. का बफर जोन बनाने के लिये भारतीय सेना को अपना ही क्षेत्र खाली करके फिंगर-3 पर आना पड़ा। चीनियों को पीछे खदेड़ने के चक्कर मेंं भारतीय सैनिक फिंगर-3 तक ही सीमित रह गए, जहां भारत का पहले से ही आधार कैम्प था। 

अब बदली परिस्थितियों में आक्रामक हुई भारतीय सेना ने अपनी सामरिक स्थिति को मजबूत करने के लिए फिर से फिंगर 4 पर काबिज होकर चीनियों को मात दी है। रणनीतिक लिहाज से फिंगर-4 चोटी चारों ओर से ऊंचाइयों पर हैं, जहां से काफी दूर तक चीन की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है क्योंकि भारतीय सेना का प्रशासनिक शिविर तलहटी पर है। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने फिंगर-4 पहाड़ी की ऊंचाई का महत्व बताते हुए कहा कि पहाड़ों पर युद्ध के दौरान दुश्मन को जवाब देने के लिहाज से ऊंचाई महत्वपूर्ण होती है। चीनी अब तक एक हाथ ऊपर था, क्योंकि वे उच्च ऊंचाई पर बैठे थे। अब हम उन जगहों पर उनके आसपास हैं, जहां वे नहीं थे।

मगर हिल और गुरुंग हिल पर भी भारतीय सैनिकों का कब्जा

  इसी के मद्देनजर भारत ने पिछले 4 दिनों में पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर के लगभग 25 किलोमीटर के इलाके में पेट्रोलिंग प्वाइंट 27 से 31 के बीच स्पांगुर गैप के पास मगर हिल और गुरुंग हिल पर भी भारतीय सैनिकों ने कब्जा कर वहां तैनाती कर ली है। भारतीय सैनिकों ने अब जिन पहाड़ियों पर मोर्चा जमाया है, वहां से चीन के मोल्डो सैनिक मुख्यालय तक नजर रखी जा सकती है। यह पहाड़ियां चुशूल के इलाके में बेहद रणनीतिक महत्व की हैं। स्पांगुर गैप भारत और चीन के बीच लगभग 50 मीटर चौड़ा रास्ता है, जिसके एक ओर मगर हिल और दूसरी ओर गुरुंग हिल है। भारतीय सैनिकों ने उन रिंचिंग ला और रेजांग ला पर कब्जा किया है, जहां 1962 में भीषण लड़ाई हुई थी। इस समय पैंगोंग के दक्षिण किनारे से लेकर रेजांग ला तक हर पहाड़ी पर भारतीय सैनिकों का कब्जा है। हालात बेहद तनावपूर्ण हैं और एलएसी पर भारत की बढ़त से खिसियाए चीन की तरफ से कोई नया मोर्चा खुलने की आशंका है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments