लॉकडाउन खुलने से लोगों को मिलने लगा काम
उज्ज्वल दुनिया/रांची । झारखंड के शहरों में महीने भर के अंदर बेरोजगारी 5.3 फीसदी घटी है। आर्थिक विश्लेषकों के थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनीटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी के सितंबर महीनों के आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक अगस्त के अंत में झारखंड के शहरों में 19.1 फीसदी बेरोजगारी थी जो सितंबर के अंत में घटकर 13.8 फीसदी पर आ गई है। कोरोना काल में एक माह के अंदर बेरोजगारी घटने की यह रफ्तार सुकून देने वाला है।
सूबे में आर्थिक गतिविधियां बढ़ी
जानकारों की राय में पिछले एक महीने में प्रदेश के शहरों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ी हैं। धंधों के अवसर बढ़े हैं। इसी का नतीजा है कि काम मिलने में इजाफा हुआ है। होटल और रेस्टोरेंट के भी खुलने से अर्थव्यवस्था के मांग-आपूर्ति चक्र में पिछले महीने की तुलना में विस्तार हुआ है। हालांकि, शहरों में बेरोजगारी का घटकर कोरोना से पहले वाले के स्तर तक आाना बाकी है। मार्च में झारखंड की बेरोजगारी दर 16.4 फीसदी आंकी गई थी। जाहिर है कि अनलॉक के कई चरण बीत जाने के बाद आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से परवान नहीं चढ़ी हैं। आस-पास के इलाकों के लोगों का शहरों से आवागमन अभी भी पहले की तुलना में काफी कम है। इसी तरह शैक्षिक संस्थानों के भी नहीं खुलने से बाजार पर अभी असर है।
बिहार से कम है शहरी बेरोजगारी
झारखंड के शहरों में रोजगार कोरोनापूर्व के स्तर तक नहीं पहुंचने के बावजूद यह बिहार से कम है। झाखंड के 13.8 फीसदी की तुलना में यह बिहार में 17.8 फीसदी है। हालांकि पड़ोसी ओड़िशा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल भी बेरोजगारी के मामले में झारखंड से बेहतर स्थिति में हैं। शहरों में बेरोजगारी की राष्ट्रीय औसत 8.5 फीसदी भी झारखंड से कम है।
गांव में घटती बेरोजगारी थमी
झारखंड के गांवों में कोरोना काल में घटती बेरोजगारी की रफ्तार थम गई है। अगस्त की तुलना में सितंबर में इस मामले में हल्का सा इजाफा हुआ है। अगस्त में झारखंड के गांवों की बेरोजगारी दर 6.3 फीसदी थी। जो सितंबर में बढ़कर 6.4 फीसदी हो गई है। विशेषज्ञों की राय में इसका कारण गांवों में खेती की सीजन का खत्म हो जाना है। इस कारण खेती में लगे ग्रामीण बेकारी झेलने के लिए मजबूर हैं।