उज्ज्वल दुनिया \रांची । भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन को एक बार फिर पत्र लिखा है । अपनी चिट्ठी में उन्होंने पंचायत सचिव परीक्षा का अंतिम मेधा सूची को राज्य सरकार द्वारा अकारण लटकाए जाने के कारण 3088 अभ्यर्थियों के बर्बाद हो रहे भविष्य पर ध्यान दिलाया है । बाबूलाल मरांडी ने अपनी चिट्ठी में कहा है कि इस मामले में विभिन्न चरणों में लिखित व जांच परीक्षा पूर्ण की जा चुकी है। सफल अभ्यर्थियों का सितम्बर, 2019 में प्रमाण-पत्रों की जांच की जा चुकी है। इसके पूर्व परीक्षाफल प्रकाशित करने को लेकर आपको बहुत सारे जनप्रतिनिधियों ने आग्रह-पत्र लिखा है। स्वयं अभ्यर्थियों का प्रतिनिधित्वमंडल भी कई दफा आपसे मुलाकात कर लिखित आवेदन सौंपकर इस समस्या के तत्काल समाधान की गुहार लगा चुका है। बावजूद पंचायत सचिव का अंतिम मेधा सूची प्रकाशित नहीं होना दुखद है।
विपक्ष में रहते हुए भरोसा दिया, सत्ता में आते ही पलट क्यों गए ?
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि नेता-प्रतिपक्ष रहते हुए आपने इस मामले में ठोस आश्वासन भी दिया है। हमें नहीं लगता कि विपक्ष में रहते हुए दिए गए ठोस आश्वासन के मायने सत्ता प्राप्ति के साथ ही बदल जाते हैं ?
बाबूलाल ने लिखा है कि हमें पता है कि मेरे द्वारा लिखा गया पत्र आपको काफी कड़वा लगता है। इसलिए हमने इस मुद्दे पर अब तक ज्यादातर चुप्पी साधे रखना मुनासिब समझा। लगा कि हमारे बगैर हस्तक्षेप के ही आप इन सबका कल्याण कर देंगे। परंतु आप मामलों को लटकाए रखने में माहिर हैं , आपको जनहित के ऐसे मामलों को लटकाए रखने में शायद आनंद आता है ? हम इस पर कभी विस्तार से चर्चा करेंगे। आपका यह रवैया लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कतई शुभ नहीं है। हमने बहुत प्रतीक्षा किया कि इस मामले में बगैर हमारे पत्राचार के परीक्षाफल प्रकाशित हो जाए। परंतु जब कई जनप्रतिनिधियों के द्वारा पत्र लिखने के बावजूद आपके स्तर से सिवाय टालमटोल के कोई सुगबुगाहट देखने को नहीं मिली तो मुझे लगा कि अब इस पर देर करना मुनासिब नहीं है। एक जनप्रतिनिधि होने के नाते इस ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराना, मेरा दायित्व बन जाता है।
वहीं अन्य रिक्तियों दारोगा, आईआरबी, रेडियो आॅपरेटर, वायरलेस दारोगा आदि का विज्ञापन, पंचायत सचिव के बाद का होने के बावजूद इन सभी की नियुक्ति की जा चुकी है और वे सभी कार्यरत भी हैं। वहीं विज्ञापन संख्या 03/2017 के तहत राजस्व कर्मचारी की भी नियुक्ति हो चुकी है और वे डेढ़ साल से अधिक समय से नौकरी भी कर रहे हैं। जबकि पंचायत सचिव व राजस्व कर्मचारी का नियमावली एक बताया जा रहा है।