उज्ज्वल दुनिया /रांची । प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी आरपीएन सिंह ने कहा कि मोदी सरकार किसान विरोधी और विकास विरोधी है। इस सरकार ने किसानों से संबंधित जो तीन बिल लाए हैं, इससे किसान तो बर्बाद होंगे ही बेरोजगारी भी बढ़ेगी। किसान अपने ही खेत में मजदूर बनकर रह जाएंगे। आरपीएन सिंह गुरुवार को दिल्ली से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रांची के पत्रकारों के साथ बात कर रहे थे।
दोबारा जमींदरी प्रथा लागू करने की फिराक में मोदी सरकार
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने किसानों की गरीबी समाप्त करने के लिए जिस हरित क्रांति की शुरुआत की थी। भाजपा ने लोकसभा और राज्यसभा में काला कानून पास कर इसे समाप्त करने का प्रयास किया है। देशभर के किसान इसका जबरदस्त विरोध कर रहे हैं और सड़कों पर उतर आए हैं। कांग्रेस इन किसानों के साथ है और आगे भी इनके ही साथ रहेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस समझती थी कि भाजपा किसानों की जिम्मेदारी समझेगी लेकिन भाजपा ने जिम्मेदारी ना दिखा कर जमींदारी प्रथा लागू करने का प्रयास किया है। इसे सफल नहीं होने दिया जाएगा।
छोटे किसानों की खेतों पर होगा कार्पोरेट और पूंजीपतियों का कब्जा
आरपीएन सिंह ने कहा कि देशभर में 86 फीसदी किसान ऐसे हैं, जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन है। जबकि 60 फीसदी ऐसे किसान हैं, जिनके पास दो एकड़ से कम जमीन है। अब ऐसे लोग अपने खेत का अनाज कहां बेचने जाएंगे। तब पूर्व की जमींदारों की तरफ उनके खेत और अनाज पर कारपोरेट घराने का कब्जा हो जाएगा। बिहार का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां इस तरह की व्यवस्था 2006 में एनडीए सरकार ने लागू किया था और वहां इससे कोई परिवर्तन नहीं आया बल्कि किसानों का अनाज बिचौलिए ही खरीद रहे हैं।
62 करोड़ किसान और मजदूरों पर क्रूर हमला
आरपीएन सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने तीन काले कानूनों के माध्यम से किसान, खेत-मजदूर, छोटे दुकानदार, मंडी मजदूर व कर्मचारियों की आजीविका पर एक क्रूर हमला बोला है। यह किसान, खेत और खलिहान के खिलाफ एक घिनौना षड़यंत्र है। देश के अन्नदाता व भाग्यविधाता किसान तथा खेत मजदूर की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने का षड़यंत्र किया जा रहा है। देश भर में 62 करोड़ किसान-मजदूर व 250 से अधिक किसान संगठन इन काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनकी सरकार सब ऐतराज दरकिनार कर देश को बरगला रहे हैं।