Tuesday 17th of June 2025 02:20:43 AM
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दारोगा जी रिश्वत में मांगते हैं मोबाइल

हंटरगंज थाना प्रभारी के लिए खरीदे गए मोबाइल की रसीद

दारोगा जी फर्जी पता पर रिश्वत में लेते हैं मोबाईल, फिर भी एसपी हैं दरोगा पर मेहरबान
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फर्जी पता पर सिम-फोन खरीदने और बेचने वाले दारोगा-दुकानदार पर चलेगा आयरन हैंड ?
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उज्जवल दुनिया संवाददाता/ अजय निराला


हजारीबाग। उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल अंतर्गत चतरा जिले के हंटरगंज थाना के वर्तमान थाना प्रभारी सचिन कुमार ने इटखोरी थाना प्रभारी रहने के दौरान सुबोध सिंह नाम के व्यक्ति से प्रतिद्वंद्वियों की शिकायत पर केस नहीं करने के एवज में पचास हजार नगद व 42 हजार रुपए कीमत के वनप्लस ब्रांड के मोबाईल रिश्वत के रूप में वसूल लिया।

दारोगा सचिन कुमार ने रिश्वत तो लिया ही साथ में इस मोबाईल में भी फर्जीवाड़ा किया है। हजारीबाग के मालवीय मार्ग स्थित जिस रॉयल स्मार्ट मोबाईल सेंटर से सचिन ने सुबोध सिंह से मोबाईल खरीदवाया उस मोबाइल के बिल में सचिन कुमार का नाम और नंबर 6200282993 दर्ज है। लेकिन पता में हजारीबाग लिखा हुआ है। अब प्रश्न यह है कि जब सचिन कुमार चतरा जिले में सब इंस्पेक्टर हैं और उनका स्थायी पता देवघर जिला है, तो बिल में उसने अपना पता हजारीबाग क्यों लिखवाया ?

रिश्वत में मोबाईल खरीददारी करवाने में भी फर्जीवाड़ा किया है। रिश्वत में फर्जी पता लिखवा बिल बनवाने के बाद सुबोध सिंह ने पेटीएम के माध्यम से रॉयल स्मार्ट के प्रोपराइटर शाहिद अख्तर को 42000 रुपए भुगतान किया। एक और गंभीर सवाल यह उठ रहा कि दुकानदार ने कैसे बिना पहचान पत्र के घूसखोर दारोगा का फोन बिल में हजारीबाग का पता लिख दिया ? ऐसे में तब जब गलत पता पर फोन लेने और बेचने पर पुलिस कार्रवाई करती है। क्या दारोगा और दुकानदार पर ऐसी कोई कार्रवाई होगी जो का कुकर्म यहीं नहीं थमता।

दारोगा के लिए खरीदे गए स्मार्टफोन के लिए सुबोध ने पेटीएम से 42000 रुपये का भुगतान किया

डीआईजी हजारीबाग को दिए आवेदन में सुबोध सिंह ने लिखा है कि पैसे और मोबाईल लेने के बाद विपक्षियों से मेरे ऊपर काउंटर केस भी करवा दिया और मेरे घर मे घुसकर मेरी पत्नी से दुर्व्यवहार करने वाले आरोपियों पर कार्रवाई भी नहीं किया। अब आरोपियों द्वारा केस नहीं उठाने पर जान से हाथ धोने की धमकी दी जा रही है।


एसपी हैं मेहरबान तो दारोगा बनें हैं पहलवानॽ
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चतरा जिले के दारोगा सचिन के कारनामें उजागर होने पर झारखंड सरकार और पुलिस मुख्यालय द्वारा बेहतर पुलिसिंग के प्रयासों को गहरा झटका लगा ही है। साथ ही यह बदनामी का सबब बन गया है। नक्सली गतिविधि-घटनाओं को रोकने, लचर विधि-व्यवस्था में लाचार साबित हो रहे चतरा एसपी के नेतृत्व क्षमता के साथ उनकी कार्यशैली पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह उठने लगे हैं। आमजन का भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर लोगों का एसपी पर भरोसा भी उठने लगा है। ऐसी सोच इसलिए बन रही है कि सचिन कुमार पर इटखोरी थाना में रहते कई गंभीर शिकायतें की गई। लेकिन सचिन कुमार पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे सचिन कुमार का मनोबल बढ़ता गया।

दारोगा सचिन के खिलाफ़ शिकायतों का अंबार, फिर एसपी साहब आंखे बंद किए रहे

सचिन के खिलाफ शिकायतों के अंबार और सुर्खियों पर चतरा एसपी से डीआईजी ने रिपोर्ट तलब की थी। लेकिन उसमें में भी सचिन के शिकायतों को बारीकी से मोड़ने को कोशिश किए जाने की सूचना है। सुबोध सिंह द्वारा एसपी को शिकायत न कर सीधे डीआईजी को शिकायत किए जाने को लेकर भी एसपी के प्रति भरोसा नहीं होने का इशारा कर रहा है।

क्या कहतें हैं डीआईजी:

इस संबंध में पूछे जाने पर प्रमंडल के डीआईजी अमोल वेणुकांत होमकर ने कहा कि सुबोध सिंह के आवेदन पर दारोगा सचिन कुमार के मामले पर जांच के लिए चतरा एसपी को निर्देश दिया गया है। साथ ही आवेदन के प्रत्येक पहलुओं पर जांच करने के साथ ही जल्द प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। चतरा एसपी के प्रतिवेदन के आधार पर कार्यवाई की जाएगी।

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