Friday 22nd of November 2024 07:03:48 AM
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दहेज की खातिर मीनाक्षी को मार डाला, पुलिस ने अभियुक्तों से पैसे लेकर मामले को दबाया

चतरा पुलिस पर उठ रहे हैं सवालिया निशान

गिद्धौर पुलिस आखिर क्यों है अभियुक्तों पर इतना मेहरबान ?

चतरा :- मीनाक्षी देवी हत्याकांड को हुए दो सप्ताह बीत चुके हैं फिर भी इस मामले में नौ अभियुक्तों में से एक अभियुक्त को भी चतरा पुलिस गिरफ्तार करने में अबतक नाकाम रही है ।

पैसे खाकर एसपी के भी आदेश की अवहेलना ?

चतरा के युवा और जुझारू पुलिस कप्तान के रूप में शुमार ऋषभ कुमार झा के द्वारा इस मामले में एसआईटी का गठन भी किया गया है परंतु चतरा पुलिस की मेहरबानी तो देखिए । रिश्वत में इतना मोटा माल मिला कि आज भी इस मामले के नामजद अभियुक्त खुलेआम सीना ठोककर घूम रहे हैं तथा इस घटना का मास्टरमाइंड तथा मुख्य आरोपी मीनाक्षी के कातिल पति आकाश भारद्वाज को चतरा पुुलिस नहीं पकड़ सकी है ।

पुलिस के रवैये के खिलाफ बढ़ रहा है आक्रोश

पुलिस की शिथिल कार्रवाई के विरुद्ध अब आसपास के ग्रामीण गोलबंद होने लगे हैं तथा काफी आक्रोशित हैं । ग्रामीणों का साफ आरोप है कि अभियुक्तों से रिश्वत लेकर पुलिस विभाग के अधिकारी उन्हें बचाने में लगे हुए हैं । इस मामले में आसानी गांव निवासी रमाकांत पाठक का कहना है कि यदि पुलिस द्वारा जल्द ही अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं किया जाता है तो वे पुलिस विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल देंगे ।

अपनी बेटी होती तो क्या ऐसे ही पैसे खाकर चुप बैठते पुलिसवाले ?

वही इसी गांव की अरुणा पाठक इस मामले को लेकर काफी आक्रोशित है। इनका कहना है कि मीनाक्षी हत्याकांड समाज के लिए एक काफी शर्मनाक घटना है तथा इसकी जितनी भी निंदा की जाए वह कम होगा। यह हत्या तमाम नारी जाती के लिए एक प्रकार की चुनौती है।इस घटना के विरुद्ध आसानी गांव की महिलाये तथा लड़कियों के द्वारा मृतिका को इंसाफ दिलाने तथा अभियुक्तों को गिरफ्तारी की मांग को लेकर पिछले दिनों आसानी गाँव मे कैंडल मार्च भी निकाला गया था, बावजूद इसके पुलिस प्रशासन अबतक इस मामले में कोई भी कदम नहीं उठा रही है।

अभियुक्तों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कैंडल मार्च

हालात यदि ऐसा ही रहा तो बाध्य होकर यहां की महिलाएं चतरा पुलिस कप्तान का घेराव करेगी तथा इंसाफ की मांग करेगी। इनका स्पष्ट कहना है कि इस मामले में चतरा पुलिस की भूमिका काफी संदेहास्पद है तथा अभियुक्तों से एक मोटी राशि लेकर पुलिस विभाग उसे संरक्षण देने में जुटी हुई है।

दहेज के कारण हुई मीनाक्षी की हत्या- पिता

सिमरिया प्रखंड के कटिया गांव निवासी मृतिका मीनाक्षी के पिता विनय पाण्डेय अपनी पुत्री की निर्मम हत्या कि घटना से बिल्कुल टूट चुके हैं ।इनका कहना है कि तीन वर्ष पूर्व वे अपनी पुत्री का विवाह आसानी गांव निवासी जगदीश भारद्वाज के पुत्र आकाश भारद्वाज से किया था ।इस दौरान वे अपनी क्षमता से बढ़कर उन्हें दहेज भी दिया था ।बावजूद इसके लड़की के ससुराल वालों के द्वारा दहेज को लेकर हमेशा मेरी पुत्री को प्रताड़ित किया जाता था। इस मामले को लेकर उनकी पुत्री द्वारा चतरा सदर थाने में दहेज उत्पीड़न का मामला भी दर्ज कराया गया था परन्तु सदर थाना पुलिस इस मामले में अभियुक्त को गिरफ्तार करने के बजाए मामले को टालटी रही जिसके परिणाम स्वरूप आरोपियों का मनोबल इतना बढ़ गया और आखिरकार वे मेरी बच्ची की निर्मम हत्या कर दिया ।

मीनाक्षी हत्याकांड में संदिग्ध है पुलिस की भूमिका

इनका यह भी आरोप है कि पिछले 10 फरवरी को मेरी पुत्री को बेरहमी से हत्या गर्दन काटकर किया गया था। इसकी प्राथमिकी गिद्धौर थाने में दर्ज है ।इस मामले में एसआईटी का गठन भी हुआ है जो कि एक छलावा साबित हो रहा है और यह एक मजाक बनकर रह गया है ।क्योंकि पुलिस के नाक के नीचे जब अभियुक्त खुलेआम घूम रहे हैं तो आखिर नामजद अभियुक्तों को क्यों नहीं गिरफ्तार किया जा रहा है?

अभियुक्तों के साथ चाय-नाश्ता करती है गिद्धौर पुलिस- ग्रामीण

ग्रामीणों का आरोप है कि मीनाक्षी की रहस्यमय तरीके से निर्मम हत्या करके गिद्धौर थाना क्षेत्र के जंगल में उसे फेंक दिया गया था जबकि मामले की पड़ताल करने आसानी गाँव पहुंची गिद्धौर पुलिस आकाश भारद्वाज के परिजनों से मिलकर चाय और नाश्ता करके वापस लौट गई थी तथा अभियुक्तों को फरार होने का मौका दे देती है। सवाल तो यह भी है कि आखिर गिद्धौर पुलिस अभियुक्तों पर इतना मेहरबान क्यों है?

पुलिस के खिलाफ गोलबंद होने लगा है ब्राह्मण समाज

आसानी गाँव के ग्रामीणों का आक्रोश चतरा पुलिस पर फूटने ही वाला है। हालात यदि यही रहा तो आने वाला समय में मीनाक्षी जैसी अनगिनत बेटियों को यूं ही दहेज की बलिवेदी पर न्योछावर होना भी पड़ सकता है। इस बाबत पिछले दिनों ब्राह्मण समाज के चतरा में हुए बैठक में सर्वसम्मति से कातिल भारद्वाज परिवार को समाज से बहिष्कृत करने का निर्णय भी लिया गया था। चाहे जो भी हो परन्तु इतना तो स्पस्ट है कि इस पूरे मामले में गिद्धौर थाने की भूमिका को लेकर कई सवाल खड़े जो जाते है ।

पूछ रहे हैं लोग, कितने पैसे खाकर अभियुक्तों पर मेहरबानी?

क्या सचमुच पुलिस विभाग के अधिकारी पैसे लेकर अभियुक्तों को बचाने में लगी है या फिर ये दिलचस्पी ही नही ले रहे है ? दूसरा सवाल यह भी है कि आखिर उन अभियुक्तों को संरक्षण देने का काम कौन कर रहा है ,जिसके दबाबों में आकर पुलिस किसी को गिरफ्तार करने से गुरेज कर रही है । अब आगे देखना यह है कि चतरा पुलिस इस मामले में कितना गंभीर दिखती है तथा पुलिस कप्तान इस घटना का पर्दाफाश करते हुए अभियुक्तों को गिरफ्तार करने में कहांतक सक्षम हो पाते हैं ?इस मामले में मीनाक्षी को इंसाफ मिल भी पाता है या नहीं देखना दिलचस्प होगा?

मीनाक्षी के लिए की मांग
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