उज्ज्वल दुनिया/रांची । झारखंड के शहरों में बेरोजगारी एक महीने में तिगुनी से भीअधिक हो गई है। जुलाई में प्रदेश के शहरों में 5.6 फीसदी बेरोजगारी थी। अगस्त में यह बढ़कर 19.1 फीसदी हो गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी(सीएमआईई) के ताजा आंकड़ों से इसका खुलासा हआ है।
एक महीने के अंदर बेरोजगारी में 13 फीसदी का इजाफा
प्रदेश के शहरों में एक महीने के भीतर 13.5 फीसदी बेरोजगारी का इजाफा हुआ है। इससे साफ है कि झारखंड में बंद हो रहे उद्योगों की मार रोजी-रोटी पर पड़ने लगी है। अनलॉक की प्रक्रिया के कई चरण बीत जाने के बाद भी विभिन्न कारणों से आर्थिक चक्र के पूरे नहीं होने के कारण एकबार फिर से काम-धंधों पर असर पड़ने लगा है।
जुलाई में प्रदेश की बेरोजगारी 7.6 फीसदी आंकी गई थी। यह कोरोना से पहले वाले महीने मार्च के 8.2 फीसदी से थोड़ा कम थी। जाहिर है कि अनलॉक के बाद खुले उद्योग-धंधों तथा दूसरे कारोबारों में पहले से काम कर रहे लोगों को फिर से काम मिलने लगा। पहले वाले स्वरोजगार भी बड़ी तादाद में बहाल हो रहे थे।
वापस बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं लोग
आवागमन की सुविधा मिलने के बाद बड़ी तादाद में लोग दूसरे प्रदेशों की ओर कूच कर गए। इसी बीच शहरों में मांग और आपूर्ति की शृंखला पूरी नहीं होते देख कई उद्योगों के शटर गिरे। बड़े पैमाने पर छंटनी शुरू हुई है। अगस्त की रिपोर्ट में कुल बेरोजगारी के आंकड़े में भी इसका इजाफा दिख रहा है। जो जुलाई के 7.6 फीसदी से बढ़क 9.8 हो गया है।
झारखंड के गांवों में घटी बेरोजगारी
झारखंड के शहरों के विपरीत यहां के गांवों में बेरोजगारी घटी है। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के गांवों में अगस्त के बाद 6.3 फीसदी बेरोजगारी का अनुमान है। जो जुलाई के बाद 8.4 फीसदी था। जानकारों के मुताबिक इसका कारण बड़ी तादाद में लोगों का कृषि क्षेत्र में या कृषि आधारित स्वरोजगार में काम मिल जाना है। इसके अलावा झारखंड के गांवों से बडी संख्या में लोगों का पलायन भी हो रहा है। गांवों से बस में भरकर अकुशल मजदूर महानगरों की ओर ले जाए जा रहे हैं।