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झामुमो से 6 साल के लिए निष्कासित किए गए रवि केजरीवाल

उज्ज्वल दुनिया /झामुमो ने रवि केजरीवाल को पार्टी से 6 सालों के लिए निष्कासित कर दिया है. रवि केजरीवाल झामुमो के कोषाध्यक्ष भी रह चुके हैं. केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने इस बाबत पत्र जारी किया है.जारी पत्र में कहा गया है कि रवि केजरीवाल को सभी पदों से पद मुक्त करते हुए पार्टी की प्रथामिक सदस्यता से 6 वर्षों के लिए निष्कासित किया जाता है.इसे भी पढ़ें – बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद दो बड़े नेता सहित 18 कैदी कोरोना पॉजिटिव

केंद्रीय कोषाध्यक्ष पद से पहले ही हटाया गया था

इससे पूर्व झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पार्टी के केंद्रीय कोषाध्यक्ष पद से रवि केजरीवाल को मुक्त कर दिया था. कोषाध्यक्ष पद से केजरीवाल को मुक्त करते हुए पार्टी ने अपने सभी बैंक खाते के संचालन पर रोक लगा दी थी. जारी पत्र में रवि केजरीवाल के निष्कासन की कोई वजह नहीं दी गयी है ।

कौन हैं रवि केजरीवाल? 

जानकार बताते हैं कि 18वीं शताब्दी में ही यह परिवार कहीं से आकर कुर्रा गांव में बसा. यह गांव अभी बोकारो जिला के चास प्रखंड में है. केजरीवाल परिवार काफी लंबा-चौड़ा हुआ करता था. लेकिन धीरे-धीरे उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब होने लगी. भाई-भाई में झगड़ा शुरू होने लगा और परिवार अलग होता गया. रवि केजरीवाल के बड़े चाचा प्रयाग केजरीवाल पर परिवार का बोझ आया. तो उन्होंने किराए पर चोंगा लगाने का काम शुरू किया. चाचा की वजह से ही रवि केजरीवाल के संबंध सोरेन परिवार से बने. प्रयाग केजरीवाल, शिबू सोरेन के काफी करीबी हो गए. जिस तरह के आरोप अभी रवि केजरीवाल पर लग रहे हैं, ठीक वैसे ही फंड रेजिंग का आरोप रवि केजरीवाल के चाचा प्रयाग केजरीवाल पर भी लगते थे. सोरेन परिवार से नजदीकियों की वजह से केजरीवाल परिवार की हालत सुधरी. तब रवि केजरीवाल के पिता शिबू केजरीवाल ने बोकारो के सेक्टर-4 में रेमडंस का शोरूम खोला. 

केजरीवाल के करीबी मनोहर बने शिबू सोरेन के आप्त सचिव, बनायी अकूत दौलत 


आरोप लगते रहे हैं कि जिस वक्त शिबू सोरेन अपने चरम पर थे. केजरीवाल परिवार को परिवार के पास पैसा बनाने से लेकर पैसा खपाने तक का जिम्मा था. केजरीवाल परिवार उस वक्त झारखंड में जमीन का कारोबार में उतरा. जरूरतमंदों को पैसा देकर उसकी जमीन अपने नाम करवाने का काम परिवार ने शुरू किया. इसी क्रम में केजरीवाल परिवार के करीबी मनोहर पाल, शिबू सोरेन के आप्त सचिव बने. इनके आप्त सचिव बनने के बाद कहा जाने लगा कि सोरेन परिवार राजनीति करती थी और बाकी का सारा काम प्रयाग केजरीवाल और मनोहर पाल के जिम्मे था. बाद में मनोहर पाल ने अपना कारोबार शुरू कर लिया. स्मृद्धि स्टील के मालिक बने. हाल ही में करोड़ों की लागत से दिल्ली में एक फ्लाइंग क्लब खोला है.  
विरासत के काम को आगे बढ़ाया रवि केजरीवाल नेप्रयाग केजरीवाल और मनोहर पाल का काम रवि केजरीवाल ने संभाला. विरासत को आगे बढ़ाते हुए जब शिबू सोरेन के विकल्प के रुप में हेमंत सोरेन राजनीति में आए, तब रवि केजरीवाल एंड एसोसिएट्स ने हेमंत के काम का जिम्मा संभाला. हेमंत के राजनीति में आने के बाद रवि केजरीवाल पर ही फंड जुगाड़ने की सारी जिम्मेदारी आ गयी. जिसे अंजाम देने में रवि केजरीवाल ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. जमाना बदल चुका था. जमीन के काम से पैसों को खपाने का काम कारगर नहीं रह गया था. कॉरपोरेट कल्चर की शुरुआत हो चुकी थी. तो इन्होंने भी अपने काम का भी कल्चर को बदला और मनी लॉन्ड्रिंग का तरीका शेल कंपनी बना कर करने लगे। 

कलकत्ता बना कंपनी खोलने का ठिकाना, बनायी कई शेल कंपनियां


मोदी राज से पहले शेल कंपनी किस तरह से काम करती है, कुछ एक लोगों को ही पता था. लेकिन जिन्हें इसकी जानकारी थी उनकी पूछ सबसे ज्यादा होती थी. क्योंकि यह ब्लैक मनी को वाइट करने का एक नायाब तरीका था. उस वक्त को कलकत्ता और अभी के कोलकाता के महात्मा गांधी रोड और गणेश चंद्र एवेन्यू इन शेल कंपनियों का ठिकाना था. आज भी इन दोनों ठिकानों पर छोटे-छोटे पीओ बॉक्स नजर आ जाएंगे. इन्ही पीओ बॉक्स के नंबर के आधार पर फर्जी कंपनियां बनायी जाती थी. सभी कंपनियों का पता होता था पिन कोड नंबर 700001 से लेकर 700091. कहा जाए तो ये डब्बा ही कंपनी होती थी. जिसके जरिए मनी लॉन्ड्रिंग का काम होता था. इस काम में रवि केजरीवाल को महारथ हासिल थी.  

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