Friday 22nd of November 2024 03:40:53 PM
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जीवन मे पिछलग्गू नहीं, नजीर बने

गोरखपुर । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में पिछले छह साल में देश बदल रहा है, पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। अब भारत का शुमार दुनिया के अग्रणी देशों में होता है। ऐसे में आप भी जीवन मे पिछलग्गू बनने की बजाय नजीर बनें। मुख्यमंत्री गुरुवार को महाराणा प्रताप (एमपी) शिक्षा परिषद के 88वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने महाराणा प्रताप इंटर कलेज परिसर में आयोजित समारोह में कहा कि खुद को समाज और देश के लिए बोझ नहीं, उपयोगी बनाएं। शिक्षण संस्थाएं टीम भावना के साथ ऐसा करें तो यह संभव है। परिषद से जुड़े सभी लोग (बच्चे, शिक्षक और अभिभावक) परिषद के शताब्दी वर्ष तक इसी को लक्ष्य बनाकर इसके लिए खुद, संस्था और पूरे प्रदेश को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम करना होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भी यही मकसद है। यकीनन आप सारे लोग ऐसा करेंगे तो आने वाले समय मे यह परिषद उत्तर भारत का श्रेष्ठतम शिक्षण संस्थान बनेगा।

उन्होंने कहा जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती है तब तक कोविड प्रोटोकल के मानकों का पहले जैसे ही अनुपालन करें। योगी ने कहा कि चुनौतियों को अवसर और असफता को सफलता में बदलने वाला ही जीवन मे सफल होता है, आप भी हर चुनौती में अवसर व असफलता में सफलता तलाशें। सफलता आपके कदम चूमेगी।

उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि गुलामी के काल खंड को छोड़ दें तो भारत वैदिक काल से ही ज्ञान पिपाशु रहा है। इसी नाते उसे विश्वगुरु का दर्जा हासिल था। गोरक्षनगरी का इसमें बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा। यह परपरा अब भी जारी है। शिक्षा ही संसार और समाज को सुंदर बनाने का जरिया है। एमपी शिक्षा परिषद 1932 से यही कर रहा है। परिषद अपनी संस्थाओं में किताबी ज्ञान के साथ संस्कार भी देता है। ऐसा संस्कार जिससे बच्चों में अपने सम्पन्न इतिहास, परम्परा, संस्कृति और देश प्रेम के प्रति जज्बा और जुनून जगता है। ऐसे बच्चे ही देश और समाज मे अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देते हैं। इससे सशक्त और श्रेष्ठ भारत का सपना साकार होगा। देश की अन्य शिक्षण संस्थानों के लिए भी परिषद के कार्य नजीर हैं।

विशिष्ट अतिथि प्रदेश के जल शक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने कहा कि शिक्षा हर समस्या का हल है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद 1932 से यही कर रहा है।

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