केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि जो लोग जनता की अदालत में चुनाव-दर-चुनाव ठुकरा दिए गए, अब वो किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर अपनी सियासत चमकाना चाहते हैं । उन्होंने कहा कि हिंसक आंदोलन के जरिए तख्तापलट की साजिश रची जा रही है । कभी मुसलमान तो कभी सिख तो कभी दलित की भावनाओं को भड़का कर देश को अस्थिर करने की साजिश रची जा रही है । भारत की जनता ने पहले भी इनकी बुरी मंशा को कामयाब नहीं होने दिया है और आगे भी इन्हें मुंह की खानी पड़ेगी ।
SC-ST act, CAA-NRC आंदोलनों की श्रृंखला की अगली कड़ी है किसान आंदोलन
कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर ने कहा कि जबसे मोदी सरकार सत्ता में आई है ये लोग साजिश कर रहे हैं । कभी दलित भाइयों को भड़काते हैं तो कभी जाट-गुर्जरो को । कभी सीएए-एनआरसी के नाम पर मुसलमानों को सड़कों पर बैठाते हैं तो कभी किसानों को । ये लोग इतने फ्रस्ट्रेशन में हैं कि हिंसा फैलाकर तख्तापलट की कोशिश भी कर रहे हैं । लेकिन भारत की महान जनता इन ताकतों को अच्छी तरह पहचानती है ।
कौन है बुरी शक्तियों के पीछे की अदृश्य ताकत ?
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मुंबई में किसान आंदोलन को खड़ा करने के पीछे शरद पवार का हाथ है तो दिल्ली में कांग्रेस-कम्युनिष्ट के साथ-साथ सिख फॉर जस्टिस जैसे संगठन रोज भड़काऊ बयान दे रहे हैं । सरकार किसानों की हर मांग मानने के लिए तैयार है, उनकी हर आपत्ति का हल निकालने के लिए राजी है, लेकिन कोई अदृश्य शक्ति है जो चाहती ही नहीं कि किसान आंदोलन समाप्त हो । दरअसल, इस आंदोलन के जरिए वो सत्ता पाना चाहते हैं ।
आंदोलन की पवित्रता और उसकी नैतिकता समाप्त हो जाए तो फल की प्राप्ति नहीं होती
कृषि मंत्री नरेश तोमर ने कहा कि किसी भी आंदोलन की ताकत उसकी नैतिकता होती है । लेकिन यहां कुछ लोगों ने आंदोलन की पवित्रता को गिरवी रख दिया है । वे पर्दे के पीछे की ताकतों का मोहरा बन गए हैं । आंदोलन का चेहरा कोई है और इन चेहरों को निर्देशित कोई और कर रहा है ।