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चीन के हाथों ​38​ हजार वर्ग किमी भूमि गंवाने वाले हमें कह रहे हैं कि हम चीन से डर गए: राजनाथ सिंह

– ​रक्षा मंत्री ​ने ​लोकसभा को दी ​​लद्दाख सीमा पर मौजूदा हालात की जानकारी 

उज्ज्वल दुनिया  नई दिल्ली, 16 सितम्बर (हि.स.)।​ ​​​रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ​ने ​मंगलवार को ​​लोकसभा में ​चीन मुद्दे पर बयान ​देकर​​ ​’लद्दाख में सीमा पर हालात’ के बारे में देश को अवगत करा​या। ​उन्होंने खुले तौर पर माना कि चीन ने लद्दाख में भारत की लगभग ​​38​ हजार वर्ग किमी भूमि ​पर अनधिकृत कब्जा किया है​​। इसके अलावा 1963 में एक तथाकथित सीमा-समझौते के तहत पाकिस्तान ने पीओके की 5180 वर्ग किमी भारतीय भूमि को अवैध रूप से ​चीन ​को सौंप ​दी है​। ​अपनी जमीन और सीमा की रक्षा करते हुए कर्नल संतोष बाबू और उनके 19 वीर साथियों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है।​​   

पाकिस्तान ने पीओके की 5180 वर्ग किमी भारतीय भूमि ​चीन ​को सौंपी

लद्दाख की पूर्वी सीमाओं पर हाल में हुई गतिविधियों से अवगत ​कराते हुए ​उन्होंने कहा कि इस सदन ने ​कल ही ​दो मिनट ​का ​मौन रखकर​ लद्दाख में शहीद हुए वीर जवानों को अपनी श्रद्धांज​लि अर्पित की है​।​​ मैंने भी लद्दाख जाकर अपने शूरवीरों के साथ कुछ समय बिताया है और मैं आपको यह बताना चाहता ​हूं कि मैंने उनके अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम को महसूस किया है​। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ​भी ​हाल ही में लद्दाख का दौरा कर​के ​ बहादुर जवानों से मुलाकात ​करके उन्हें यह संदेश भी दिया था कि समस्त देशवासी अपने वीर जवानों के साथ खड़े हैं। ​रक्षा मंत्री ने कहा कि सीमा विवाद ​एक जटिल मुद्दा है, जिसके समाधान के लिए धैर्य की आवश्यकता है​​।​ ​यह भी बताना चाहता हूं कि अभी तक भारत-चीन के सीमावर्ती क्षेत्रों में आमतौर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (​​​​एलएसी) नहीं है और एलएसी को लेकर दोनों ​देशों ​की धारणा अलग-अलग है​​।  

चीन के साथ सीमा गतिरोध शांतिपूर्वक ढंग से हल करना चाहता है भारत  

रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन की तरफ से 29 और 30 अगस्त की रात को उत्तेजक सैनिक कार्रवाई की गई, जो पैंगोंग झील के साउथ किनारे में यथास्थिति को बदलने का प्रयास था लेकिन एक बार फिर हमारी सेना की समय से की गई कार्रवाई के कारण उनके ये प्रयास सफल नहीं हुए। इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि चीन विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों की अवहेलना करता दिखता है। चीन द्वारा सैनिकों की भारी मात्रा में तैनाती करना भी 1993 और 1996 के समझौतों का उल्लंघन है जबकि हमारे सशस्त्र बल समझौते का पूरी तरह से पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में चीनी पक्ष ने एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिक टुकड़ियां और गोला-बारूद जुटा रखा है। पूर्वी लद्दाख में गोगरा और पैंगोंग झील का उत्तरी और दक्षिणी तट मुख्य रूप से विवादित क्षेत्र हैं। चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारे सशस्त्र बलों ने भी इन क्षेत्रों में उपयुक्त जवाबी तैनाती की है ताकि भारत के सुरक्षा हितों को पूरी तरह से सुरक्षित रखा जा सके। भारत सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूदा मुद्दों का हल, बातचीत और परामर्श के जरिए किए जाने के प्रति प्रतिबद्ध है।

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