जबसे किसान के आंसू छलके थे, मेरा मन व्यथित था । मैं राकेश टिकैत जी से मिलने को व्याकुल था । मैंने समाचार पत्रों में पढ़ा है कि राकेश टिकैत जी सिर्फ गांव और किसान के घर का पानी पी रहे हैं । मैं उनके लिए अपने गांव का पानी लेकर आया हूं । ये बातें झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता राकेश टिकैत से मुलाक़ात के दौरान कही ।
राकेश टिकैत के साथ बैठकर खाना खाया
मंगलवार तड़के सुबह-सुबह गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे मंत्री बादल पत्रलेख ने राकेश टिकैत के साथ बैठकर खाना खाया। सुबह के चार बजे खाने के सवाल पर पूछे जाने राकेश टिकैत ने बताया कि आंदोलन के समय वक्त की कमी होती है। शाम अंधेरा ढलने के साथ ही हमलोग ज्यादा अलर्ट रहते हैं कि न जाने मोदी और योगी की पुलिस अंधेरे में क्या-क्या कुकर्म करे। दिन भर नेताओं का आना-जाना लगा रहता है । लिहाजा जब मौका मिलता है कुछ खा लेते हैं ।
झारखंड सरकार और वहां के किसान आंदोलन के साथ
झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने बताया कि आंदोलन की शुरुआत से ही झारखंड सरकार किसानों के साथ है। मैं खुद सिंघु बॉर्डर गया था, वहां टेंट में रात गुजारी ।झारखंड के हजारो किसान साथी गाजीपुर बॉर्डर पर मौजूद हैं । झारखंड में भी गोड्डा में हमने ट्रैक्टर रैली निकाली थी। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन मोदी सरकार के ताबूत की आखिरी कील साबित होगी ।