गणतंत्र दिवस को किसान आंदोलन के सहारे एक बार फिर विपक्ष अपनी ताकत दिखाना चाहता है । CAA-NRC आंदोलन की तरह ही दिल्ली से लेकर मुंबई तक रैली और प्रोटेस्ट मार्च का आयोजन किया गया है । ऑल इंडिया किसान सभा के नेतृत्व में नासिक से पैदल चले हजारों किसान मुंबई पहुंच नए हैं ।
मुंबई के आजाद मैदान में सोमवार को किसानों की बड़ी रैली
महाराष्ट्र की राजनीति किसान और मराठा के इर्द-गिर्द घूमती है। शरद पवार किसानों और मराठा समुदाय के सबसे बड़े नेता माने जाते रहे हैं । हाल के दिनों में हिंदुत्व लहर पर सवार भाजपा ने पवार के किसान-मराठा वोटबैंक में जबरदस्त सेंध लगाई थी । पवार को लगता है कि किसान आंदोलन के जरिए वो अपने खोए वोटबैंक को दोबारा वापस पा सकते हैं । इसी रणनीतिक के तहत मुंबई के आजाद मैदान में महाराष्ट्र के अलग- अलग जिलों से हजारों किसानों को जुटाया गया है ।
दिल्ली में ट्रैक्टर रैली को लेकर तनाव
दिल्ली में किसानों के ट्रैक्टर रैली करने की इजाजत तो सरकार ने दे दी है, लेकिन अब भी तनाव बना हुआ है । खुफिया विभाग ने हिंसा फैलने की आशंका जारी की है । उधर किसानों ने अपने ट्रैक्टर के आगे लोहे की कील लगा रखी है ताकि बैरिकेडिंग तोड़ने से उन्हे कोई रोक न सके । इससे पहले किसान नेताओं की हत्या की खबर जिस तरह मीडिया में प्लांट करने की कोशिश की गई, उससे हिंसा की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता ।
26 जनवरी को हिंसा हुई तो भारत होगा जिम्मेदार- सिख फॉर जस्टिस
इस बीच नई दिल्ली के CISF के कंट्रोल रूम में प्रतिबंधित संगठन की ओर से फोन कॉल किया गया, जिसमें 26 जनवरी को होने वाली किसानों की ट्रैक्टर रैली का जिक्र था । फोन करने वाले ने खुद को सिख फॉर जस्टिस संगठन का मुखिया गुरुपतवंत सिंह “पन्नू” बताया । उसने धमकी दी है कि अगर 26 जनवरी को हिंसा होती है तो इसके लिए पूरी तरह भारत सरकार जिम्मेवार होगी और हर सिख की मौत का बदला लिया जाएगा ।