Tuesday 17th of June 2025 12:36:48 AM
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कोडरमा भाजपा जिलाध्यक्ष ने फर्जी तरीके से जमीन मुआवजा लिया, जांच के लिए टीम गठित

कोडरमा भाजपा जिलाध्यक्ष नितेश चंद्रवंशी (फाइल तस्वीर)

कोडरमा। जिले में फर्जी तरीके से जमीन का मुआवजा निकासी का मामले की जांच कराने को लेकर आज टीम का गठन किया गया है जहां वे जांच कर पूरी रिपोर्ट डीसी रमेश घोलप को जांच रिपोर्ट सौपेंगे। ज्ञात हो कि भाजपा जिला अध्यक्ष नितेश चन्द्रवँशी पर आरोप लगा था कि फर्जी तरीके से जमीन का मुआवजा हासिल किया गया। जिसमें यह भी कहा गया था कि जमीन के मुआवजा मूल मालिक को नहीं देकर किसी और को दे दिया गया है।
जिसके बाद डीसी ने जांच टीम अपर समाहर्ता की अध्यक्षता में बनाया है. जो फर्जी तरीके से की गई मुआवजा निकासी की जांच करेगा। आपको बता दें कि यह जमीन जो राँची-पटना रोड बनाने के लिए आधा डीसमील जमीन सरकार द्वारा अधिग्रहण किया गया था. जिसके लिए मुआवजा मूल मालिक को ना देकर, किसी केवालादार और नितेश चन्द्रवंशी को दे दिया गया। इस बाबत वरुण कुमार सिंह, पिता स्वर्गीय देवेन्द्र सिंह, ग्राम गुमो झुमरी तिलैया ने एक परिवाद पत्र से गोविंद सिंह, पिता धनी सिंह के नाम से खाता नंबर-59, प्लॉट नं. 696 की जमीन का जिला भू-अर्जन कार्यालय द्वारा नितेश चंद्रवंशी (भाजपा जिलाध्यक्ष) को फर्जी तरीके से मुआवजा देने का आरोप लगाया है।

जमीन किसी की, मुआवजा किसी और को कैसे ?

परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में यह उल्लेख किया है कि, प्रश्नगत भूमि दिनांक 26-12-1978 को केवाला संख्या 9006 के माध्यम से प्राप्त है, जिस पर दाखिल खारिज करवाकर सरकारी मालगुजारी रसीद निगत होता चला आ रहा है. परन्तु उसी जमीन को नारायण राम व बद्री राम दोनों को पिता स्व. तालो राम एवं राजु राम पिता- स्व. नारायण राम गुमो निवासी नितेश चन्द्रवंशी, पिता-नारायण राम को फर्जी तरीके से एक साजिश के तहत बिक्री किया गया है। आवेदक ने आरोप लगाया है कि प्रश्नगत भूमि पंजी-॥ में उनके दादा गोविन्द सिंह के नाम से दर्ज है।

जांच टीम में कौन-कौन है शामिल ?

जिले के चर्चित जमीन के मुआवजे के मामले की जांच के लिए डीसी रमेश घोलप के निदेशानुसार गठित टीम में अपर समाहर्ता, अनुमण्डल पदाधिकारी, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, अवर निबंधक, अंचल अधिकारी कोडरमा को रखा गया हैं। उपायुक्त ने जांच दल को निर्देश दिया है कि, परिवाद पत्र में वर्णित बिन्दुओं के आलोक में प्रश्नगत भूमि की स्थलीय एवं अभिलेखीय जांच की जाए. उसके बाद सुस्पष्ट मंतव्य सहित संयुक्त जांच प्रतिवेदन एक सप्ताह के अंदर उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे।

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