दिल्ली की सीमा से सटे सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा कि जब तक कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर दिया जाता, तब तक वे टीके नहीं लगवाएंगे। किसानों ने कहा कि वे तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने से पहले अपने गृह राज्यों में जानकर वैक्सीन लेने के लिए राजधानी नहीं छोड़ेंगे ।
मोगा जिले के ढुडिके गांव के रहने वाले और कीर्ति किसान संघ के सदस्य चामकोर सिंह ने कहा कि हमने कई डॉक्टरों को यह कहते सुना है कि कोरोना पहले से मौजूद था और कम प्रतिरक्षा वाले लोगों को प्रभावित करता था। यहां सड़कों पर हजारों गरीब लोग रहते हैं, जिनके पास हाथ धोने या मास्क पहनने का कोई साधन नहीं है। वे कैसे मैनेज कर रहे हैं? हम मानते हैं कि कृषि कानूनों को बिना किसी प्रतिरोध के पारित करने के लिए लॉकडाउन सरकार का सिर्फ एक हथकंडा था।
वहीं, दबिंदर सिंह ने कहा कि अगर हमें कोरोना होगा तो हम टीकाकरण करवाएंगे, अन्यथा नहीं लगवाएंगे। प्रदर्शनकारियों की भीड़ में कई अन्य लोगों ने कहा कि उन्हें कोविड-19 बीमारी की मृत्यु दर को लेकर सरकार के दावों पर भरोसा नहीं है। फिरोजपुर के मरुर गांव के किसान 28 वर्षीय बलप्रीत सिंह ने कहा कि हम पहले दिन से ही यहां हैं और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना असंभव है। फिर भी हमारे 100-200 लोगों के समूह में किसी को भी अब तक कोरोना नहीं हुआ। बीमारी से ज्यादा घातक बीमारी का डर होता है।