केन्द्र सरकार के नये कृषि कानून का सबसे ज्यादा विरोध पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी में हो रहा है । लेकिन हरियाणा और पंजाब में तो नये कृषि कानून अलग-अलग नाम से पिछले कई सालों से लागू है । लेकिन वहां के किसानों ने तब न विरोध किया न ही इससे MSP पर असर पड़ा और न मंडी सिस्टम खत्म हुआ ।
पंजाब में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के कानून बेहद कड़े
ऊपर पंजाब सरकार का 2013 में जारी गैजेट नोटिफिकेशन है। इसमें साफ-साफ लिखा है कि अगर किसी किसान ने कंपनी के साथ अनुबंध तोड़ा, या अनुबंध की शर्तो का उल्लंघन किया तो उसे एक महीने की जेल या 5 लाख रुपए जुर्माना हो सकता है । कम से कम केन्द्र सरकार के नये कृषि कानूनों में किसानों पर इस तरह की सख्ती नहीं है ।
कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने किया था कृषि में प्राइवेटाइजेशन का समर्थन
आपने संसद में यूपीए सरकार के मंत्री कपिल सिब्बल का वो भाषण जरुर सुना होगा जिसमें वो किसानों को नये कानून के फायदे समझा रहे हैं । उसी तरह कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने भी तब कृषि में निजी पूंजीनिवेश का समर्थन किया था । तो क्या सत्ता मेअं रहने पर नेताओं के विचार अलग होते हैं और विपक्ष में रहने पर अलग ? या सिर्फ विरोध करने के दिए नये कृषि कानूनों का विरोध किया जा रहा है ?