
2016 में उदय प्रकाश ने “देश में intolerance बढ़ रहा है” कहते हुए अपना साहित्य अकादमी अवार्ड वापस कर दिया था । ऐसा करने वाले ये उस समय पहले शख्स थे । इनके ऐसा कदम उठाने के बाद कई कवि, लेखक, कलाकारों, एक्टिविस्ट्स ने उनके इस कदम का समर्थन किया और इसके बाद अवार्ड वापसी की एक प्रथा चल पड़ी थी ।
अब उन्हीं उदय प्रकाश ने राम मंदिर के लिए चंदा दिया है और इसकी घोषणा उन्होने स्वयं अपने फेसबुक पोस्ट पर की है ।

वैसे तो देश के लाखों करोड़ों लोगों ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा दिया है, तो फिर उदय प्रकाश के चंदे को लेकर सोशल मीडिया पर इतना बवाल क्यों? इसकी एक सबसे बड़ी वजह है उदय प्रकाश खुद को वामपंथी मानते हैं । दूसरा रामजन्मभूमि आंदोलन को लेकर उनके विचार। साहित्य अकादमी में उनके विचार कुछ इस कदर अंकित हैं ।
“6 दिसंबर की घटना से काफी आहत हुआ था. राम किसी लेखन और धर्म से पहले के हैं और उन्हें किसी कस्बे या जिले तक सीमित नहीं किया जा सकता. रामायण को कई लोगों ने और कई तरह से लिखा है जिनके अलग-अलग दृष्टिकोण रहे हैं. राम को किसी एक दृष्टिकोण से नहीं देखा जा सकता और न ही किसी एक जगह के वो हो सकते हैं.”
सोशल मीडिया पर मचा है गदर

उदय प्रकाश के वामपंथी प्रशंसक उनसे नाराज हैं । धर्म को अफीम मानने वाले भला कैसे बर्दाश्त कर लेते कि एक वामपंथी बुद्धिजीवी मंदिर निर्माण के लिए चंदा दे ? वो भी उस मंदिर के लिए जो मस्जिद ढाहकर बनाई जा रही है ?
एक यूजर ने अपने कमेंट में लिखा है -“बड़े-बड़े नाम भी हकीकत में ऐसे ही छोटे निकलते हैं. पहले भी आप अपने विचारों का मुरब्बा बना चुके हैं. कोई हैरत नहीं आदरणीय “
एक दूसरा यूजर लिखता है-““अभी ना जाने कितने भ्रम और टूटेंगे. कितने नायकों से भरोसा उठेगा.”