Thursday 30th of October 2025 06:04:13 PM
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अल्पसंख्यकों की छात्रवृत्ति पर राजनीतिक फायदे के लिए गलत जानकारी दे रहे हैं सीएम

उज्ज्वल दुनिया /रांची । भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने आज प्रदेश मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि प्री मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक और मेरिट कम मींस अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति केंद्र सरकार के नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल से डीबीटी के माध्यम से सीधे विद्यार्थियों के खाते में केंद्र सरकार के द्वारा भेजा जाता है। इसमें संस्थानों द्वारा एवं संस्थान के अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं द्वारा पोर्टल पर सीधे अपनी सूचना एवं आवेदन की प्रविष्टि किया जाता है। पूर्व में केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय से प्राप्त पत्र एवं लाभुक की सूची के आलोक में राज्य सरकार की एजेंसी झारखंड राज्य अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम के द्वारा सभी जिला स्तरीय पदाधिकारियों से लाभुक संस्थानों एवं लाभ छात्र-छात्राओं का जांच कराए गया था।इसके बाद 46000 लाभुक संस्थानों की संख्या घटकर 3100 हो गई थी। इसी प्रकार लाभ छात्र-छात्राओं के लगभग दो लाख आवेदन में से मात्र 95000 को ही छात्रवृत्ति दिया गया।यह पूर्व कि भाजपा के रघुवर दास के नेतृत्व वाली सरकार के द्वारा कार्रवाई के कारण हो सका।

प्रतुल ने कहा मुख्यमंत्री सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे हैं।प्रतुल ने कहा की संवैधानिक पद पर बैठे मुख्यमंत्री ने जांच रिपोर्ट आने के पहले ही पूरे मामले के लिए पूर्व की सरकार को दोषी ठहरा दिया जो की सरासर गलतबयानी है।प्रतुल ने कहा कि केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के सचिव ने पत्रांक संख्या 8-3/ 2019-SS, दिनांक 5 जुलाई 2019 को राज्य सरकार को इस स्कीम के लाभुकों,संस्थाओं और विद्यालयों की जानकारी का सत्यापन करने को कहा था। इस स्कॉलरशिप स्कीम की नोडल एजेंसी झारखंड राज्य अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम ने 5 जुलाई 2019 को ही सभी जिला कल्याण पदाधिकारी को पत्र लिखकर जिलों में विद्यालयों, महाविद्यालयों, संस्थानों और अध्ययनरत छात्रों के जानकारी लेने का निर्देश दिया था।इसके अतिरिक्त निगम ने उक्त संस्थान में कुल कक्षाओं की संख्या, अध्ययनरत छात्रों की संख्या, अल्पसंख्यक छात्रों की संख्या, संस्थान को आवंटित यूजर आईडी,पासवर्ड एवम यूजर आईडी और पासवर्ड का उपयोग करने वाले कर्मी का नाम और मोबाइल नंबर एवं प्रधानाध्यापक का नाम तथा मोबाइल नंबर  के साथ जांच अधिकारी के स्पष्ट मंतव्य देने का आदेश दिया था। झारखंड राज्य अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम ने पुनः 8 जुलाई 2019 को सभी जिला कल्याण पदाधिकारी झारखंड को लिखकर इस चल रहे कार्यक्रम के सभी बिंदुओं का जिला स्तर पर सत्यापन करते हुए वर्तमान वस्तुस्थिति से संबंधित प्रतिवेदन मांगा था। इसके बाद झारखंड राज्य अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम ने 10 जुलाई 2019 को सभी जिलों के जिला कल्याण पदाधिकारी को पत्र लिखकर एक बार पुनः विद्यालयों, महाविद्यालयों, संस्थानों का भौतिक सत्यापन, छात्रों की संख्या,आदि का ब्यौरा मांगा था।

प्रतुल ने कहा कि पिछली सरकार में भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस था। जैसे ही गड़बड़ी की सूचना राज्य सरकार को मिली तो राज्य सरकार की नोडल एजेंसी झारखंड राज्य अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम ने तुरंत इस मामले में कड़े कदम उठाए थे जिसके कारण 46000 संस्थानों में सिर्फ 3100 संस्थानों को मंजूरी दी गई थी।मुख्यमंत्री ने सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए चुनाव के 1 दिन पूर्व इस मामले के लिए पूर्व की सरकार को दोषी ठहराया था। जबकि तत्कालीन सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों के साथ हो रहे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए थे।मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने अपने कार्यकाल के 10 महीने में इस मुद्दे पर आगे क्या कार्रवाई की है। आज की प्रेस वार्ता में प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक भी उपस्थित थे

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