हेमंत सोरेन रहेंगे कि जाएंगे… राज्यपाल ने बढ़ाई झामुमो की टेंशन… भाजपा से फरियाने की तैयारी…..

a
Jharkhand Latest News झारखंड में अब भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता को लेकर अनिर्णय की स्थिति बनी हुई है। राज्‍यपाल अबतक चुप हैं। चुनाव आयोग द्वारा मंतव्‍य भेजे जाने के करीब 15 दिन बाद भी अनिश्चितता का माहौल है।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Latest News झारखंड में 15 दिन से राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल है। इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता को लेकर अनिर्णय की स्थिति बनी हुई है। शुक्रवार को सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने एक बार फिर वर्तमान सियासी हालात के लिए भाजपा पर ठीकरा फोड़ते हुए राजभवन पर निशाना साधा। मोर्चा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि 15 दिन बीत चुके। अब राज्यपाल को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए।

चुनौती भरे लहजे में उन्होंने कहा कि राज्यपाल स्थिति स्पष्ट कर दें तो झामुमो भाजपा के विषैले मानसिकता से लोकतांत्रिक तरीके से निपट लेगा। मीडिया से जानकारी मिली थी कि 25 अगस्त को ही भारत निर्वाचन आयोग ने राजभवन को मंतव्य सौंप दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने दिल्ली से राजपथ के अंत का ऐलान किया है, लेकिन देश में अभी भी राजभवन मौजूद है।
उन्‍होंने कहा कि चुनाव आयोग के मंतव्य को लेकर भाजपा मिथ्या प्रचार कर रही है। विशेष सत्र बुलाकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बहुमत साबित कर दिखा दिया। सदन का बहिष्कार कर भाजपा को बाहर जाना पड़ा। भ्रम फैलाने की भाजपा की कोशिश असफल हो गई। चुनाव आयोग के मंतव्य के अनुसार राज्यपाल का फैसला जल्द स्पष्ट होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने चिंतन शिविर में राज्य में जनसांख्यिकी बदलने की बात कही है। जबकि हकीकत यह है कि देश का घरेलू अर्थतंत्र ही बदल गया है। यह दो-चार कारपोरेट घरानों के हाथों में चली गई है। भाजपा स्पष्ट करे कि इस डेमोग्राफी को किसने बिगाड़ा है। गोड्डा में अदाणी पावर प्लांट से बांग्लादेश को बिजली भेजकर वहां की डेमोग्राफी किसने बदली। झारखंड विधानसभा से आदिवासियों के लिए सरना धर्मकोड का प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा गया। भाजपा को यह बताना चाहिए कि उस प्रस्ताव का क्या हुआ?

हेमंत सोरेन की सदस्‍यता मामले में राजभवन की चुप्पी बरकरार, अभी करना होगा और इंतजार
आफिस आफ प्राफिट मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता रद करने के मामले में निर्णय इस सप्ताह होने की उम्मीद नहीं है। राज्यपाल रमेश बैस ने अभी तक इसपर कोई निर्णय नहीं लिया है। साथ ही इस मामले में राजभवन की चुप्पी अभी भी बरकरार है। राज्यपाल रमेश बैस छह दिनों तक दिल्ली में रहने के बाद गुरुवार को रांची लौट आए हैं।

उनके लौटने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि सदस्यता मामले में राजभवन द्वारा कोई निर्णय लिया जाएगा लेकिन शुक्रवार को भी इसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई। न ही राजभवन द्वारा इसे लेकर कोई अधिकृत बयान जारी किया गया है। बता दें कि राज्यपाल ने एक सितंबर को राजभवन मिलने पहुंचे यूपीए के प्रतिनिधिमंडल से स्वीकार किया था कि आफिस आफ प्राफिट मामले में आयेाग का पत्र मिला है। साथ ही उन्होंने इसमें शीघ्र उचित कार्रवाई का आश्वासन भी दिया था।

Copyright © 2022 Jagran Prakashan Limited.

source

%d