Sunday 8th of September 2024 03:02:59 AM
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रुल बुक फाड़ी, धक्का

उज्ज्वल दुनिया/नई दिल्ली । राज्यसभा में सरकार के पास बिल पास कराने के लिए बहुमत का आंकड़ा कहां से आएगा, कौन कौन दल पक्ष में वोट डालेंगे और कौन वॉकआउट कर बिल पास करने का रास्ता साफ करेंगे? इन सब चर्चाओं के बीच सरकार ने राज्यसभा में दो कृषि बिल ध्वनिमत से पास करवा लिए। विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। जानकारों के मुताबिक राज्य सभा में इस तरह का हंगामा इससे पहले महिला आरक्षण बिल को लेकर हुआ था।

रूल बुक फाड़ी, माइक तोड़ा, धक्का- मुक्की

बिल पर चर्चा के बाद उस वक्त विपक्ष ने हंगामा शुरू किया जब उपसभापति हरिवंश ने दोनों बिलों को सिलेक्ट कमिटी में भेजे जाने के प्रस्ताव पर मतविभाजन की मांग पर गौर नहीं किया। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने मांग की कि दोनों बिलों पर हुई चर्चा का जवाब सोमवार के लिए स्थगित कर दिया जाए क्योंकि रविवार को बैठक का निर्धारित समय खत्म हो गया था। विपक्ष मत विभाजन चाहता था लेकिन बिल ध्वनिमत से पास कराया जाने लगा तो टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन सहित टीएमसी और कांग्रेस सदस्य वेल पर आ गए। डेरेक डिप्टी उपसभापति के आसन के एकदम पास आकर उन्हें रूल बुक दिखाने लगे तो किसी ने पीछे से रूल बुक आसन पर फेंकी भी।

माइक खींच कर फेंकते दिखे डेरेक-ओ-ब्रायन

मार्शल ने डेरेक को रोकने की कोशिश की। टीएमसी सांसद माइक खींचते भी दिखे। इसी बीच माइक टूट भी गया और राज्यसभा में कागज (बिल की कॉपी) के टुकड़े उड़ते दिखे। राज्यसभा टीवी की आवाज बंद हो गई और बाद में विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि देश उनकी बात न सुन सके इसलिए आवाज बंद की गई। विपक्षी सांसदों और मार्शल्स के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। हंगामे के बाद कुछ देर सदन की कार्यवाही स्थगित की गई लेकिन कार्यवाही शुरू होने पर फिर विपक्ष की नारेबाजी जारी रही। इसी नारेबाजी के बीच ही दोनों बिल ध्वनिमत से पास कराए गए।

तार-तार हुई संसदीय मर्यादा 

विपक्षी दल चाहते थे कि मतविभाजन के जरिए यह साफ हो कि कौन इस बिल के पक्ष में है और कौन विरोध में। बिल के पक्ष में जाने वालों को वह किसान विरोधी बता रहे थे। लेकिन सरकार ने ध्वनिमत से बिल पास कराकर विपक्ष की इस रणनीति को चित्त कर दिया। बिल पास होने के साथ बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र का एक और वादा पूरा हुआ।

किसानो को बिचौलियों से आजादी- नड्डा

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने किसानों को पिछले 70 सालों के अन्याय से आजादी दिलाई है। हमारी विपक्षी पार्टियां किसान विरोधी हैं जिन्होंने किसानों को मिली नई आजादी को रोकने की कोशिश की। नड्डा ने कहा कि राज्यसभा में जो कुछ हुआ उसकी मैं निंदा करता हूं। इस घटना ने साबित कर दिया है कि जो सभ्य आचरण एक सांसद का होना चाहिए और जो पार्टियां बार बार सभ्यता की बात करती हैं, उन्होंने सभ्यता को ताक पर रखकर जो किया वह दुर्भाग्यपूर्ण है।

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