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मनरेगा की राशि का हुआ गबन, लाभुक ने लगायी न्याय की गुहार, अब तक नही मिला इंसाफ

मनरेगा योजना से बकरी शेड का हुआ निर्माण नहीं मिला लाभुक को एक भी पैसा

लाभुक जिन्हें नहीं मिला है राशि

[राजेश कुमार]

गिरिडीह : जिले के जमुआ प्रखंड के बेरहाबाद पंचायत के अरवाटा़ंड टोला निवासी मनरेगा योजना के लाभुक बाबुलाल महतो ने मनरेगा योजना की राशि गबन कर लिए जाने सम्बन्धी आवेदन दिनांक 26 मई 2020 को प्रखंड विकास पदाधिकारी से लेकर उप विकास आयुक्त को देकर न्याय की गुहार लगाया था। लाभुक के आवेदन के आधार पर जांचटीम गठित हुई। जांच टीम ने मामले की जांच भी किया। बावजूद इसके 10 माह बीत गये लेकिन लाभुक को अब तक उचित न्याय नहीं मिला है।

दोषियों के विरुद्ध होगी कार्रवाई: डीडीसी

अंततः लाभुक ने खबरनवीसों के समक्ष अपनी बातें रखी। जब पत्रकारों ने उप विकास आयुक्त शशि भूषण मेहरा से जमुआ प्रखंड के बेरहाबाद पंचायत के अरवाटा़ंड में बनी बकरी शेड के जांच रिपोर्ट के बावत पूछा तो डीडीसी ने स्पष्ट कहा कि मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

क्या है मामला :

गौरतलब है कि बेरहाबाद पंचायत के आरवाटांड टोला निवासी लाभुक बाबूलाल महतो के नाम से बकरी शेड निर्माण की योजना 2017 में पास हुई थी। जिसका योजना संख्या 341900800/ 70809010851117 है। शेड निर्माण कार्य वर्ष 2019 में पुर्ण भी कर दिया गया है। लेकिन लाभुक को अब तक एक रुपये का भी भुगतान नहीं किया गया है। लाभुक श्री महतो ने बताया कि मैं जब मनरेगा कार्यालय जमुआ में शेड की राशि भुगतान करने की बात कहा तो कार्यालय में मौजूद मनरेगा कर्मी ने कहा कि आपके शेड की राशि की निकासी हो गयी है। राशि निकासी की जानकारी होते ही उन्होंने सबसे पहले प्रखंड विकास पदाधिकारी जमुआ को आवेदन देकर जांच की मांग की। महीनों बीत जाने के बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तो उन्होंने इसकी शिकायत उप विकास आयुक्त से की।
जांच के नाम पर यहां से भी उन्हें धोखा ही मिला।

जांच टीम बनी और जांच भी हुआ, नहीं मिला इंसाफ:

इस बाबत बाबूलाल महतो ने बताया कि उन्होंने उप विकास आयुक्त को आवेदन देकर राशि गबन की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की थी। उनके आवेदन के आलोक में विकास आयुक्त ने एक जांच टीम गठित कर मामले की जांच कराया। जांच टीम ने जो जांचोंपरांत जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर दिया। रिपोर्ट में जांच अधिकारियों ने कहा है कि बकरी शेड निर्माण का जांच किया गया जहां बकरी शेड में बकरी नहीं पाया गया। बकरी शेड में जेट पंप रखा हुआ था।

हंसुआ की शादी में खुरपी का गीत:

यह कहावत कि “हंसुआ की शादी में खुरपी का गीत” यंहा वाकई सटीक बैठता है। क्योंकि लाभुक ने बकरी शेड निर्माण की राशि के गबन को लेकर जांच की मांग की थी। लेकिन जांच अधिकारी ने अपना खुद का राग अलापते हुये जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर दिया। इतना ही नही जांच अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट में पंचायत सचिव एवं पंचायत सेवक पर मनरेगा योजना में बेहतर कार्य नहीं करने का दोषी बताते हुये उस पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाने की अनुशंसा भी की है। लेकिन जांच अधिकारी ने राशि गबन का कंही कोई जिक्र ही नही किया। जबकि जांच अधिकारी राशि के गबन मामले की जांच करने पहुंचे थे।

कई सवालों को जन्म देता है अधिकारियों का यह कारगुजारी

जांच अधिकारियों का यह रवैया कई सवालों को जन्म देता है। यदि ऐसा ही रवैया रहा तो मनरेगा योजना का लाभ पाने से आम ग्रामिण व लाभुक को वंचित रहना पड़ेगा। जमुआ प्रखंड के बेरहाबाद पंचायत के अरवाटा़ंड टोला का यह मनरेगा योजना की राशि गबन मामला वाकई जांच का विषय है। जिसने जांच अधिकारियों पर ही सवाल उठाने को विवश कर दिया।

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