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नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत को लगने लगा है कि अफगानिस्तान के दिनों दिन खराब होते हालात के चलते पड़ोसी देशों पर भी बुरा असर पड़ सकता है। अफगानिस्तान के साथ ही अन्य देशों को भी यह लगने लगा है कि अफगानी जमीन का इस्तेमाल अन्य देशों को धमकाने के लिए लश्कर और जैश जैसे आतंकी कभी भी कर सकते हैं।
अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के जेनेवा में आयोजित विशेष सत्र को संबोधित करते हुए वहां नियुक्त भारतीय राजदूत इंद्र मणि पांडेय ने कहा कि अफगानिस्तान में गंभीर मानवाधिकार संकट होने की घटनाएं सामने आ रही हैं। सभी लोग अफगान लोगों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के बढ़ते मामलों को देखकर चिंतित हैं।उन्होंने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि हालात जल्दी संभल जाएंगे। विभिन्न पक्ष मानवाधिकार और सुरक्षा के मुद्दों को जल्द सुलझा लेंगे।

अफगानी बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का भी आदर होना चाहिए। इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार अफसर मिशेल बेशलेट ने मंगलवार को मानवाधिकार परिषद में दिए अपने भाषण में अफगानियों की हत्याओं का जिक्र किया। लेकिन इन हत्याओं का कोई ब्योरा नहीं दिया। उन्होंने जेनेवा फोरम से आग्रह किया कि वह तालिबान की हरकतों पर नजर रखने के लिए एक प्रणाली विकसित करें। उन्होंने कहा कि तालिबान महिलाओं के साथ जैसे बर्ताव है वह मूलत: खतरे के निशान को पार कर गया है।

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