तूल पकड़ता जा रहा हिंदू धर्म से आजादी मांगने वालों का विवाद, हिंदू जागरण मंच ने मांगी कार्रवाई..

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Hindu Jagran Manch शहर से लेकर पूरे जिला में हिंदू धर्म से आजादी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। हिंदू जागरण मंच के महामंत्री कमल गौतम ने शुक्रवार को हिंदू धर्म से आजादी मांगने वाले लोगों पर कार्रवाई करने की मांग की है।

शिमला, जागरण संवाददाता। Hindu Jagran Manch, शहर से लेकर पूरे जिला में हिंदू धर्म से आजादी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। हिंदू जागरण मंच के महामंत्री कमल गौतम ने शुक्रवार को हिंदू धर्म से आजादी मांगने वाले लोगों पर कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही कहा कि जरूरत पड़ी तो इसके लिए वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और मानहानि का दावा करेंगे। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने आरोप लगाया कि ठियोग के विधायक राकेश सिंघा हिंदू समाज में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। समाज को बांटने का काम कर रहे हैं। हिंदू धर्म से आजादी के नारे लगाए जा रहे हैं। इसे हिंदू समाज बर्दाश्त नहीं कर सकता।


कथोग में हेेलीपैड के विरोध में याचिका पर सरकार को नोटिस
कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कथोग के खेल मैदान में हेेलीपैड बनाने के विरोध में दायर जनहित याचिका में हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश एए सईद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने एक सप्ताह के भीतर शिक्षा सचिव से जवाब तलब किया है। मामले की आगामी सुनवाई 28 सितंबर को होगी। स्थानीय निवासी धर्म चंद जगरोतरा ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार की ओर से नियम ताक पर रख कथोग स्कूल के मैदान पर हेलीपैड बनाया जा रहा है। निर्णय लेने से पहले इस बात का ध्यान नहीं रखा कि इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होगी। इसके अलावा खेल मैदान नहीं बचेगा। विरोध करने पर भी प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया।

पेंशन व नियमित करने की मांग पर 26 को सुनवाई
पुरानी पेंशन व आठ साल की दिहाड़ीदार सेवा पूरी करने के बाद नियमित करने की मांगों को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई 26 सितंबर को होगी। कई याचिकाएं और अपीलें सरकार ने भी कर्मचारियों की मांगों के विरुद्ध दायर कर रखी हैं। इन मामलों पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एए सईद व न्यायाधीश सबीना की खंडपीठ के समक्ष हो रही है। प्रदेश सरकार की ओर से यह दलील दी गई है कि कर्मचारियों ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के समक्ष नियमित करने के लिए मामले देरी से दाखिल किए। नौ या आठ साल की दिहाड़ीदार सेवा के बाद नियमित होने से वंचित कर्मचारियों को समय से अदालतों से मांग करनी चाहिए थी।

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