– नेपाल और चीन के बीच टकराव का मुद्दा रहे सीमा के कई स्तम्भ गायब
उज्ज्वल दुनिया/नई दिल्ली, 24 अगस्त (हि.स.)। नेपाल को चीन से ‘दोस्ती’ की बड़ी कीमत चुकी पड़ रही है लेकिन नेपाली प्रधान मंत्री केपी शर्मा ओली के मौन समर्थन से नेपाली भूमि पर चीन का अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। अब तक चीन ने नेपाल के सात सीमावर्ती जिलों में कई स्थानों पर जमीन हथिया ली है। सरकार की चुप्पी का नतीजा है कि नेपाल में चीन का ‘विस्तारवाद’ बढ़ता जा रहा है और देश की ओली सरकार इस मुद्दे पर आंखें मूंदे है।
– सीमावर्ती जिलों में कई स्थानों की 64 हेक्टेयर भूमि पर किया अतिक्रमण
नेपाल के कृषि मंत्रालय के सर्वेक्षण विभाग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल के जिन जिलों की जमीन चीन हड़प रहा है, उनमें दोलखा, गोरखा, दार्चुला, हुमला, सिंधुपालचौक, संखुवासभा और रसुवा शामिल हैं। नेपाल के सर्वेक्षण और मानचित्रण विभाग के अनुसार चीन ने अंतरराष्ट्रीय सीमा 1,500 मीटर को दोलखा में नेपाल की ओर धकेल दिया है। चीन ने दोलखा में कोरलंग क्षेत्र में सीमा स्तंभ संख्या 57 को पीछे खिसका दिया है, जो पहले कोलांग के शीर्ष पर स्थित था। यह स्तंभ दोनों देशों के बीच टकराव का मुद्दा रहा है। चीन ने नेपाली सरकार पर दबाव डाला कि दोनों देशों के बीच सीमा विवादों को हल करने के लिए चौथे प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर न करें, क्योंकि चीन यथास्थिति बनाए रखना चाहता था और सीमा व्यवस्था को और आगे बढ़ाता था।
– चार जिलों में नदियों के किनारे की जमीन चीन ने अपनी सीमा में मिलाई
सर्वेक्षण और मानचित्रण विभाग के मुताबिक चीन ने गोरखा और दार्चुला जिलों में नेपाली गांवों पर कब्जा कर लिया है। दोलखा की ही तरह चीन ने गोरखा जिले में सीमा स्तंभ संख्या 35, 37 और 38 और सोलुखुम्बु में नम्पा भंज्यांग में सीमा स्तंभ संख्या 62 को स्थानांतरित कर दिया है। पहले गोरखा के रुई गांव और टॉम नदी के क्षेत्रों में तीन स्तंभ स्थित थे। हालांकि नेपाल का आधिकारिक मानचित्र अभी भी इस गांव को नेपाली क्षेत्र के हिस्से के रूप में दिखाता है जबकि चीन ने 2017 में इस क्षेत्र पर कब्जा करके इसे तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ मिला दिया था।