प्रयागराज, । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फीस लेकर किसी भी अवैध निर्माण को नियमित करने की कंपाउंडिंग स्कीम-2020 को लागू करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और विकास प्राधिकरणों को इस नई योजना पर अमल न करने का निर्देश दिया है। कोर्ट कहा कि यह योजना प्रथमदृष्टया अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अवैध निर्माणों को नियमित करने के उद्देश्य से बनाई गई है। ऐसी योजनाएं उन ईमानदार लोगों को हताश करने वाली हैं जो नियमों का पालन करके निर्माण की अनुमति लेकर कानून के तहत भवन बनवाते हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने शाहजहांपुर के मेहर खान अंसारी की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव शहरी विकास से इस मामले में 20 अक्टूबर तक हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने कहा कि राज्य के अधिकारियों से अपेक्षा है कि वे अवैध निर्माणों को रोकेंगे न कि उन्हें बढ़ावा देंगे। यह भी कहा कि ऐसी योजनाएं उन ईमानदार लोगों को हताश करने वाली हैं जो नियमों का पालन करके निर्माण की अनुमति लेकर कानून के तहत भवन बनवाते हैं। ऐसे लोगों को नियमों का सख्ती से पालन करने के लिए बाध्य भी किया जाता है, जबकि भवन निर्माण कानून का उल्लंघन कर बिल्डिंग बनाने वालों को और अधिक अवैध निर्माण की छूट दी जा रही है। यह आदेश नियम के विपरीत निर्माण करके बाद में कंपाउंडिंग फीस देकर उसे वैध कराने वाले बिल्डरों और भवन स्वामियों के लिए बड़ा झटका है।